बिलासपुर (छत्तीसगढ़): प्रकृति प्रेमियों और छत्तीसगढ़ के वासियों के लिए 12 दिसंबर 2025 का दिन गौरव का नया सूरज लेकर आया। बिलासपुर जिले का कोपरा जलाशय (Kopra Reservoir) अब केवल एक सिंचाई बांध नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि यानी ‘रामसर साइट’ बन गया है। ईरान के रामसर कन्वेंशन से मिली इस वैश्विक मान्यता ने छत्तीसगढ़ को दुनिया के उन चुनिंदा नक्शों पर ला खड़ा किया है, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित हैं।
सात समंदर पार से आते मेहमानों का ‘घर’
बिलासपुर शहर से महज 15 किलोमीटर दूर तखतपुर ब्लॉक के साकरी गांव के पास स्थित यह जलाशय अपनी असीम खूबसूरती के लिए जाना जाता है। कोपरा की सबसे बड़ी विशेषता यहाँ का शांत वातावरण और स्वच्छ पानी है, जो हर साल हजारों मील दूर साइबेरिया, मंगोलिया और यूरोप से आने वाले प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करता है।
पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार, यहाँ पक्षियों की 160 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जब कड़ाके की ठंड में उत्तरी गोलार्ध जम जाता है, तब बार-हेडेड गूज (Bar-headed Goose), नार्दर्न शवलर और पिनटेल डक जैसे विदेशी परिंदे कोपरा के नीले पानी में अठखेलियां करते नजर आते हैं।
कोपरा को ही क्यों चुना गया? (पारिस्थितिक महत्व)
रामसर साइट का दर्जा मिलना कोई आसान प्रक्रिया नहीं है। कोपरा जलाशय ने कड़े वैज्ञानिक मानकों को पूरा किया है:
- अद्वितीय जैव विविधता: यहाँ न केवल पक्षी, बल्कि मछलियों की दुर्लभ प्रजातियां और जलीय वनस्पतियां भी प्रचुर मात्रा में हैं।
- संकटग्रस्त प्रजातियों का आश्रय: यहाँ विलुप्तप्राय मिस्र के गिद्ध (Egyptian Vulture) और ग्रेटर स्पॉटेड ईगल जैसे पक्षियों को सुरक्षित ठिकाना मिला है।
- जल चक्र का आधार: लगभग 210 हेक्टेयर में फैला यह जलाशय बिलासपुर के भूजल स्तर (Groundwater Level) को बनाए रखने में “किडनी” की तरह काम करता है।
मुख्यमंत्री का ‘विजन 2047’ और कोपरा का भविष्य
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि को ‘छत्तीसगढ़ अंजोर विजन 2047’ की पहली बड़ी सफलता बताया है। इस अंतरराष्ट्रीय टैग के मिलने से कोपरा जलाशय को अब यूनेस्को और रामसर सचिवालय से विशेष तकनीकी और वित्तीय सहायता मिल सकेगी।
सरकार की योजना अब इसे एक वर्ल्ड क्लास ईको-टूरिज्म सेंटर बनाने की है। यहाँ बर्ड-वॉचिंग टावर, सूचना केंद्र और प्रकृति पथ (Nature Trails) विकसित किए जाएंगे, जिससे स्थानीय ग्रामीणों के लिए रोजगार के नए द्वार खुलेंगे।
ग्रामीणों की तपस्या का फल
इस गौरवमयी उपलब्धि के पीछे साकरी और आसपास के ग्रामीणों का बड़ा योगदान है। यहाँ के लोग पक्षियों को ‘अतिथि’ मानते हैं। फसल की सुरक्षा से ज्यादा उन्होंने इन पक्षियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। शिकार के खिलाफ ग्रामीणों की एकजुटता ने ही आज कोपरा को दुनिया के 96वें भारतीय रामसर स्थल (नंबर 2583) के रूप में स्थापित किया है।
निष्कर्ष
कोपरा जलाशय का रामसर साइट बनना इस बात का प्रमाण है कि यदि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाया जाए, तो सफलता वैश्विक स्तर पर चमकती है। अब बिलासपुर केवल ‘न्यायधानी’ ही नहीं, बल्कि ‘पक्षियों की राजधानी’ के रूप में भी पहचाना जाएगा।
क्या आप जानते हैं?
- रामसर साइट क्या है? 1971 में ईरान के रामसर शहर में एक संधि हुई थी, जिसका उद्देश्य दुनिया भर की महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों (Wetlands) को संरक्षित करना है।
- छत्तीसगढ़ का लक्ष्य: सरकार का लक्ष्य 2030 तक राज्य के 20 और जलाशयों को इस सूची में शामिल करना है।
