छत्तीसगढ़ का चेंदरू, जिसे “बस्तर का मोगली” के नाम से भी जाना जाता है, एक आदिवासी लड़का था जिसने एक बाघ शावक को पाला और उसे अपने साथ ही रखा। चेंदरू का जन्म 1935 में नारायणपुर जिले के गढ़बंगाल गांव में हुआ था। वह एक मुरिया जनजाति का सदस्य था।
जब चेंदरू 10 साल का था, तो उसने एक बाघ शावक को जंगल में घायल पाया। चेंदरू ने शावक को अपने घर ले आया और उसे “टैंबु” नाम दिया। चेंदरू और टेम्बू एक-दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त बन गए। वे अक्सर जंगल में एक साथ खेलते थे।
चेंदरू और टेम्बू की कहानी पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गई। 1957 में, एक स्वीडिश फिल्म निर्माता, अस्त्रिड हेल्मिंग, चेंदरू और टेम्बू की कहानी पर आधारित एक फिल्म बनाने के लिए छत्तीसगढ़ आए। फिल्म का नाम “चेंदरू द बॉय एंड द टाइगर” था। फिल्म को बहुत सफलता मिली और चेंदरू और टेम्बू अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हो गए।
चेंदरू और टेम्बू की कहानी एक प्रेरणादायक कहानी है। यह दिखाती है कि दोस्ती और प्रेम के बिना कोई भी बाधा पार की जा सकती है। चेंदरू और टेम्बू की कहानी आज भी छत्तीसगढ़ की एक लोकप्रिय कहानी है।
चेंदरू की मृत्यु 18 सितंबर, 2013 को हुई। वह 78 वर्ष के थे। उनके निधन के बाद, छत्तीसगढ़ सरकार ने उनके नाम पर एक पार्क और एक स्मारक बनाया।
चेंदरू और टेम्बू की दोस्ती
चेंदरू और टेम्बू की दोस्ती बहुत ही खास थी। वे एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे। वे अक्सर जंगल में एक साथ खेलते थे। वे एक-दूसरे के साथ शिकार भी करते थे। चेंदरू टेम्बू को जंगल के बारे में बहुत कुछ सिखाता था। टेम्बू चेंदरू को जंगल के जानवरों और पौधों के बारे में बहुत कुछ सिखाता था।
चेंदरू और टेम्बू की दोस्ती इतनी गहरी थी कि वे एक-दूसरे के लिए जान भी दे सकते थे। एक बार, जब टेम्बू को एक शिकारी ने घायल कर दिया, तो चेंदरू ने उसे बचाने के लिए अपनी जान पर खेल दिया। चेंदरू ने शिकारी को भगा दिया और टेम्बू की जान बचाई।
चेंदरू और टेम्बू की दोस्ती एक प्रेरणादायक कहानी है। यह दिखाती है कि दोस्ती और प्रेम के बिना कोई भी बाधा पार की जा सकती है।
चेंदरू और टेम्बू की विरासत
चेंदरू और टेम्बू की कहानी आज भी छत्तीसगढ़ की एक लोकप्रिय कहानी है। चेंदरू और टेम्बू की कहानी से कई लोगों को प्रेरणा मिली है। चेंदरू और टेम्बू की कहानी ने दिखाया है कि दोस्ती और प्रेम के बिना कोई भी बाधा पार की जा सकती है।
चेंदरू और टेम्बू की कहानी ने छत्तीसगढ़ में बाघों के संरक्षण के प्रति भी जागरूकता बढ़ाने में मदद की है। चेंदरू और टेम्बू की कहानी ने दिखाया है कि बाघ भी प्यार करने और दोस्ती करने में सक्षम होते हैं।
चेंदरू और टेम्बू की कहानी एक अमर कहानी है। यह कहानी हमेशा लोगों को प्रेरित करती रहेगी।