छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और परंपरा में खानपान का भी विशेष स्थान है। छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों में ठेठरी का एक अलग ही महत्व है। यह एक मीठा और कुरकुरा व्यंजन है, जो खासकर त्योहारों और शुभ अवसरों पर बनाया जाता है। ठेठरी न सिर्फ स्वादिष्ट है बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद है।
ठेठरी की खासियत:
- स्वादिष्ट: ठेठरी मीठी और कुरकुरी होती है। इसमें गुड़ और नारियल का स्वाद इसे और भी स्वादिष्ट बनाता है।
- पौष्टिक: ठेठरी गेहूं के आटे से बनी होती है, जो फाइबर का एक अच्छा स्रोत है। इसके अलावा इसमें गुड़ और नारियल का इस्तेमाल होने से शरीर को विभिन्न पोषक तत्व भी मिलते हैं।
- बनाने में आसान: ठेठरी को घर पर आसानी से बनाया जा सकता है। इसके लिए किसी खास सामग्री की जरूरत नहीं होती है और इसे बनाने में भी ज्यादा समय नहीं लगता है।
- पारंपरिक: ठेठरी छत्तीसगढ़ का एक पारंपरिक व्यंजन है, जो पीढ़ियों से बनाया जा रहा है। यह त्योहारों और शुभ अवसरों पर खुशियों को मनाने का एक खास तरीका है।
ठेठरी बनाने की विधि:
सामग्री:
- 2 कप गेहूं का आटा
- 1 कप गुड़
- 1 कप नारियल का बुरादा
- 1/2 कप घी
- 1/4 चम्मच नमक
- तेल
बनाने की विधि:
- गेहूं के आटे को छान लें।
- गुड़ को पानी में घोलकर चीनी बना लें।
- एक बड़े बर्तन में गेहूं का आटा, गुड़ की चाशनी, नारियल का बुरादा, घी और नमक डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
- थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए आटा गूंथ लें। आटा ज्यादा सख्त नहीं होना चाहिए।
- आटे से छोटे-छोटे गोले बनाएं।
- एक प्लेट में थोड़ा सा तेल लगाएं और आटे के गोले को बेलन से पतला बेल लें।
- बेली हुई ठेठरी को चाकू से अपने पसंद के आकार में काट लें।
- कड़ाही में तेल गरम करें।
- गरम तेल में ठेठरी को डालें और धीमी आंच पर सुनहरा होने तक तलें।
- ठेठरी को तेल से निकालकर पेपर नैपकिन पर रखें।
- ठेठरी को ठंडा होने के बाद एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें।
टिप्स:
- ठेठरी में आप अपनी पसंद के अनुसार अन्य मेवे जैसे बादाम और काजू भी डाल सकते हैं।
- ठेठरी को तलते समय तेल का तापमान बहुत ज्यादा नहीं होना चाहिए, नहीं तो ठेठरी जल्दी से जल जाएगी।
- ठेठरी को ठंडा होने के बाद एक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें, ताकि वह लंबे समय तक कुरकुरी बनी रहे।
तो आज ही छत्तीसगढ़ के इस खास स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन ठेठरी को बनाने की कोशिश करें और अपने परिवार और दोस्तों के साथ इसका आनंद उठाएं!