गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड के मुड़ागांव में एक प्रेरणादायक घटना सामने आई है। विधवा गुनो बाई ने अपनी पीड़ा को बच्चों की शिक्षा में बदला है। उन्होंने अपना पीएम आवास गांव के बच्चों के लिए स्कूल में बदल दिया है।
गुनो बाई के बेटे के साथ ही गांव के 22 बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं। पुराने जर्जर भवन में स्कूल चलने की समस्या को देखकर गुनो बाई ने यह कदम उठाया।
जर्जर भवन में स्कूल का खतरा
गांव का चाचारापारा प्राथमिक स्कूल 1997 में बने जर्जर भवन में चल रहा था। 2006 में नए भवन के लिए 4 लाख 18 हजार रुपये की मंजूरी मिली थी, लेकिन नींव की खुदाई के बाद काम रुक गया।
पुराने भवन की मरम्मत के लिए भी पैसे आए, लेकिन कोई काम नहीं हुआ। शिक्षिका कुंती जगत ने बताया कि दो शिक्षकों के साथ 22 बच्चे एक ही कमरे में पढ़ने को मजबूर थे।
गुनो बाई का त्याग
गुनो बाई ने बच्चों की शिक्षा को देखते हुए अपना पीएम आवास स्कूल के लिए दे दिया। अब बच्चे सुरक्षित माहौल में पढ़ाई कर रहे हैं।

ग्रामीणों ने की प्रशंसा
गांव के पंच कपूरचंद मांझी और ग्रामीण अशोक यादव ने गुनो बाई के इस त्याग की प्रशंसा की। उन्होंने शिक्षा विभाग की लापरवाही पर भी सवाल उठाए।
जिला शिक्षा अधिकारी का आश्वासन
गरियाबंद जिला शिक्षा अधिकारी आनंद कुमार सारस्वत ने कहा कि स्कूल भवन की समस्या की जांच कराई जाएगी। उन्होंने भवनहीन होने पर शासन को प्रस्ताव भेजने की बात कही है।
निष्कर्ष:
गुनो बाई का यह त्याग समाज के लिए प्रेरणादायक है। उनकी इस पहल ने न केवल बच्चों को बेहतर शिक्षा दी है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि इच्छाशक्ति हो तो कोई भी बाधा को पार किया जा सकता है।