भारतीय एथलेटिक्स में एक नया नाम तेज़ी से उभर रहा है, और वह है अनिमेष कुजूर का। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के एक छोटे से गांव घुईटांगर से ताल्लुक रखने वाले 21 वर्षीय इस युवा धावक ने अपनी मेहनत और लगन से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है।
हालिया उपलब्धियां और रिकॉर्ड
हाल ही में, अनिमेष ने एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में पुरुषों की 200 मीटर दौड़ में कांस्य पदक हासिल कर इतिहास रच दिया। यह न सिर्फ उनका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है, बल्कि उन्होंने इस दौड़ को 20.32 सेकंड में पूरा कर भारत का नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी स्थापित किया है।
इसके अलावा, अनिमेष कुजूर ने ग्रीस में ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट और रिलेज़ मीटिंग 2025 में पुरुषों की 100 मीटर में एक नया भारतीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बनाया है। उन्होंने 10.18 सेकंड का समय निकालकर गुरिंदरवीर सिंह के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया।

पारिवारिक पृष्ठभूमि और खेल के प्रति रुझान
अनिमेष कुजूर के परिवार में खेल के प्रति गहरा रुझान रहा है। उनके पिता अमृत कुजूर खुद एक फुटबॉल खिलाड़ी रहे हैं, और उनकी मां रीना कुजूर भी वॉलीबॉल खिलाड़ी रही हैं। उनके बड़े भाई अनिकेत कुजूर भी एक एथलीट हैं। ऐसे खेल-प्रेमी माहौल में पले-बढ़े अनिमेष को बचपन से ही खेल की दुनिया में जाने की प्रेरणा मिली।
शिक्षा और प्रशिक्षण
पिता की नौकरी के कारण अनिमेष की प्रारंभिक शिक्षा काफी प्रभावित हुई, उन्हें अक्सर स्कूल बदलने पड़ते थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के वेडनर मिशन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से पूरी की और बाद में कांकेर में सेंट माइकल स्कूल से आगे की पढ़ाई की। वर्तमान में, वह भुवनेश्वर से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं और वहीं रहकर अपनी ट्रेनिंग जारी रखे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि वह ओडिशा राज्य की ओर से खेलते हैं।
भविष्य के लक्ष्य
अपनी जीत के बाद अनिमेष कुजूर ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि शुरुआत इतनी अच्छी नहीं थी, लेकिन अच्छी कर्व रनिंग ने उन्हें एशियाई मीट में पदक जीतने में सक्षम बनाया। उनका लक्ष्य अब ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप में भारत के लिए पदक जीतना है।
अनिमेष कुजूर जैसे युवा एथलीट न केवल अपने राज्य, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनकी कहानी यह दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है, चाहे परिस्थितियां कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों। हमें आशा है कि अनिमेष भविष्य में और भी कई कीर्तिमान स्थापित करेंगे और भारत को वैश्विक पटल पर गौरवान्वित करेंगे।