खुटाघाट बांध, जिसे संजय गांधी जलाशय के नाम से भी जाना जाता है, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह बांध न केवल सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है। खारून नदी पर बना यह बांध, प्रकृति और इंजीनियरिंग का एक अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।
इतिहास और निर्माण:
खुटाघाट बांध का निर्माण 1930 में पूरा हुआ था। इस बांध के निर्माण के दौरान लगभग 208 गांवों को मिला दिया गया था, जो इसकी विशालता और क्षेत्र के लिए इसके महत्व को दर्शाता है। बांध के निर्माण से पहले, यह क्षेत्र घने जंगलों से भरा हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि निर्माण के लिए पेड़ों को काटने के बजाय, कई पेड़ों को पानी में डुबो दिया गया था। समय के साथ, ये डूबे हुए पेड़ कठोर होकर ठूंठ बन गए, जिन्हें स्थानीय रूप से “खुटा” कहा जाता है, और इसी कारण से बांध का नाम खुटाघाट पड़ा।

प्राकृतिक सौंदर्य:
खुटाघाट बांध का शांत जल और आसपास के हरे-भरे जंगल इसे एक मनोरम दृश्य प्रदान करते हैं। मानसून के दौरान जब बांध ओवरफ्लो होता है, तो यह दृश्य और भी अद्भुत हो जाता है। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए स्वर्ग है। यहां की शांति और सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
गतिविधियां:
खुटाघाट बांध एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है, जहाँ परिवार और दोस्त आकर प्रकृति का आनंद लेते हैं। यहां बोटिंग की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे आप शांत जल में नौका विहार कर सकते हैं और आसपास के नजारों का लुत्फ़ उठा सकते हैं। इसके अलावा, यह क्षेत्र ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए भी एक अच्छा विकल्प है।

कैसे पहुंचे:
खुटाघाट बांध बिलासपुर-अंबिकापुर राजमार्ग के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है। बिलासपुर हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है, और बिलासपुर रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है।
कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- बांध में मगरमच्छ होने के कारण तैराकी सख्त मना है।
- बांध के पास छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा निर्मित एक टूरिस्ट रेस्ट हाउस भी है, जहाँ आप ठहर सकते हैं।
- गर्मियों में जब पानी का स्तर कम हो जाता है, तो यहां एक शिव मंदिर दिखाई देता है, जो एक अनोखा आकर्षण है।
खुटाघाट बांध न केवल एक महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना है, बल्कि यह एक सुंदर पर्यटन स्थल भी है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण पर्यटकों को एक यादगार अनुभव प्रदान करते हैं।