राजिम कुंभ कल्प, छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक महोत्सव है, जो प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक लगभग 15 दिनों के लिए आयोजित किया जाता है। यह पवित्र संगम छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के राजिम नामक स्थान पर होता है, जहाँ तीन नदियाँ – महानदी, पैरी और सोंढुर – मिलती हैं। इस त्रिवेणी संगम को छत्तीसगढ़ का ‘प्रयाग’ भी कहा जाता है, जो इसकी धार्मिक महत्ता को दर्शाता है।
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पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व:
राजिम का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेतायुग में भगवान राम ने अपने वनवास काल के दौरान इस संगम में स्नान करके अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया था। इससे इस स्थान की पवित्रता और भी बढ़ जाती है। यह भी माना जाता है कि यहाँ स्नान करने से वही पुण्य प्राप्त होता है जो प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में स्नान करने से मिलता है। मकर संक्रांति के दिन यहाँ स्नान, दान और तप का विशेष महत्व माना गया है, और इस दिन लाखों श्रद्धालु यहाँ डुबकी लगाते हैं। राजिम का नामकरण भी धार्मिक महत्व रखता है; ‘राजिम’ शब्द भगवान विष्णु के नाम ‘राजीव’ (कमल) से लिया गया है, जो इस स्थान की पवित्रता का प्रतीक है।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व:
राजिम कुंभ कल्प न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। यह एक ऐसा समय होता है जब लोक कला, संगीत, नृत्य और विभिन्न सांस्कृतिक रूपों का प्रदर्शन किया जाता है। यह महोत्सव छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति को जीवंत रखने और उसे बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विभिन्न समुदायों के लोग एक साथ मिलकर इस उत्सव को मनाते हैं, जिससे सामाजिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा मिलता है। यह एक ऐसा अवसर होता है जब छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विविधता और एकता का सुंदर प्रदर्शन देखने को मिलता है।
आयोजन और गतिविधियां:
राजिम कुंभ कल्प के दौरान विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और दीपदान करते हैं। यहाँ साधु-संतों का समागम होता है, जो धर्म और अध्यात्म पर प्रवचन देते हैं, जिससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त होता है। विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिनमें लोक नृत्य, संगीत, नाटक, भजन, कीर्तन आदि शामिल होते हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की लोक कला और संस्कृति को बढ़ावा दिया जाता है। विभिन्न प्रकार के मेले और प्रदर्शनियाँ भी लगाई जाती हैं, जिनमें स्थानीय हस्तशिल्प, कलाकृतियाँ और खाद्य पदार्थों का प्रदर्शन किया जाता है।
प्रमुख आकर्षण:
- त्रिवेणी संगम: यह संगम राजिम का केंद्र बिंदु है, जहाँ महानदी, पैरी और सोंढुर नदियों का मिलन होता है।
- कुलेश्वर महादेव मंदिर: यह प्राचीन मंदिर राजिम का प्रमुख आकर्षण है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इसकी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व इसे विशेष बनाते हैं।
- राजीव लोचन मंदिर: यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और यहाँ की वास्तुकला देखते ही बनती है। यह मंदिर भी राजिम के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।
- संत समागम: विभिन्न संप्रदायों के साधु-संत यहाँ एकत्रित होते हैं और प्रवचन देते हैं, जिससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: लोक नृत्य, संगीत और नाटक जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो दर्शकों को मनोरंजन के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की संस्कृति से भी परिचित कराते हैं।
कैसे पहुंचे:
राजिम कुंभ कल्प में पहुंचने के लिए रायपुर निकटतम हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन है। यहाँ से सड़क मार्ग द्वारा राजिम आसानी से पहुंचा जा सकता है। राज्य परिवहन निगम की बसें और निजी टैक्सियाँ भी रायपुर और अन्य शहरों से राजिम के लिए उपलब्ध रहती हैं।
राजिम कुंभ कल्प न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराओं का भी प्रतीक है। यह एक ऐसा अवसर है जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक यहाँ आकर धर्म, अध्यात्म और संस्कृति का अनुभव करते हैं। यह छत्तीसगढ़ के पर्यटन को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।