Close Menu

    Subscribe to Updates

    Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

    What's Hot

    भारतीय एथलेटिक्स का चमकता सितारा: अनिमेष कुजूर

    July 10, 2025

    छत्तीसगढ़ का समुद्री जीवाश्म पार्क: एक प्राचीन रहस्य का अद्भुत अनावरण

    July 8, 2025

    विनोद कुमार शुक्ल: हिंदी साहित्य के शिखर पुरुष, छत्तीसगढ़ का गौरव

    March 23, 2025
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Hamar GothHamar Goth
    • होम
    • कहानियाँ
    • पर्यटन
    • संस्कृति
    • इतिहास
    • खान-पान
    • बस्तर
    Hamar GothHamar Goth
    Home»संस्कृति»पंडवानी: छत्तीसगढ़ की प्राचीन महाकाव्य परंपरा
    संस्कृति

    पंडवानी: छत्तीसगढ़ की प्राचीन महाकाव्य परंपरा

    हमर गोठBy हमर गोठDecember 15, 20234 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Telegram Tumblr Email
    Teejan
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    छत्तीसगढ़ की धरती प्राचीन परंपराओं और लोककलाओं का खजाना है। इनमें से एक अनमोल रत्न है पंडवानी, जो महाभारत की पावन कथा को एक नाटकीय और गेय शैली में प्रस्तुत करती है। यह लेख पंडवानी की उत्पत्ति, शैली, सांस्कृतिक महत्व, वर्तमान स्थिति और कलाकारों की कहानियों के माध्यम से आपको इस कला के जादुई संसार में ले जाएगा।

    उत्पत्ति और इतिहास:

    पंडवानी की उत्पत्ति छत्तीसगढ़ के गोंड आदिवासी समुदाय से जुड़ी हुई है। सदियों पहले, गोंड कथाकारों ने महाभारत की गाथा को अपनी लोक परंपराओं, देवी-देवताओं और प्रकृति के साथ सम्मिश्रित कर एक अनूठी वाचिक परंपरा को जन्म दिया। इस परंपरा में कथाकार को “पंडा” या “पंडवी” कहा जाता है, जो न केवल गीतों और लोककथाओं के माध्यम से महाभारत का वर्णन करते हैं, बल्कि नृत्य और अभिनय के साथ जीवंत दृश्य सृजित करते हैं।

    शैली और प्रस्तुतीकरण:

    पंडवानी की विशिष्टता नृत्य, संगीत और कथावाचन के अद्भुत मिश्रण में निहित है। पंडा चौकी पर बैठकर, ढोलक की थाप पर तालबद्ध गीत गाते हैं और हाथों के इशारों, हाव-भाव और नृत्य से कथा को जीवंत बनाते हैं। गीतों की भाषा गोंडी, हिंदी और संस्कृत का मिश्रण होती है, जो ग्रामीण जनता के लिए महाभारत को सुलभ बनाती है। पंडवानी प्रस्तुतिकरण कई दिनों तक चलता है, जिसमें रात्रिभर कथा सुनाई जाती है। प्रत्येक रात को एक विशिष्ट अध्याय को कवर किया जाता है, जिसमें युद्ध के दृश्य, नायकों का संवाद, प्रेम कथाएं और दार्शनिक उपदेश शामिल होते हैं।

    सांस्कृतिक महत्व:

    पंडवानी केवल महाभारत की कहानी नहीं है, बल्कि गोंड समुदाय के विश्वासों, मूल्यों और जीवनशैली का दर्पण भी है। यह प्रस्तुतिकरण सामुदायिक उत्सव का एक हिस्सा बन जाता है, जहां लोग न केवल मनोरंजन पाते हैं, बल्कि नैतिकता, सामाजिक मूल्यों और पर्यावरण संरक्षण के पाठ भी सीखते हैं। पंडवानी न केवल मौखिक परंपरा के रूप में जीवित है, बल्कि अब इसका लिखित दस्तावेजीकरण भी किया जा रहा है। इस प्रयास से आने वाली पीढ़ियों के लिए इस अमूल्य विरासत को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।

    कलाकारों की कहानियां:

    पंडवानी कलाकारों की पीढ़ियां अपने जीवन को इस कला रूप को समर्पित करते हैं। जैसे कि तीजन बाई, जिन्होंने किशोरी अवस्था से ही पंडवानी को जिया, गुरुओं से सीखा और अब स्वयं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गोंड संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती हैं। या शांतिबाई चेलक, जिन्होंने परंपरा को तोड़कर महिला पंडा बनीं और आज युवा पीढ़ी को पंडवानी का दीक्षा लेने के लिए प्रेरित करती हैं। इन कलाकारों की कहानियां पंडवानी की जीवंतता का प्रमाण हैं और हमें उनकी कला को संरक्षित करने की याद दिलाती हैं।

    वर्तमान स्थिति और चुनौतियां:

    आधुनिकता के प्रभाव और टेलीविजन जैसे मीडिया के प्रसार के कारण पंडवानी को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। युवा पीढ़ी कम आकर्षित हो रही है और पंडाओं की नई पीढ़ी तैयार करने के लिए संस्थागत प्रयासों की कमी भी चिंता का विषय है।

    संरक्षण और प्रचार:

    पंडवानी को संरक्षित करने और युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण प्रयासों में शामिल हैं:

    • पंडवानी अकादमी की स्थापना: रायपुर में स्थित यह अकादमी प्रशिक्षण कार्यक्रमों, अनुसंधान और दस्तावेजीकरण के माध्यम से पंडवानी को बढ़ावा देती है।
    • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन: कलाकारों को पंडवानी के जादू को बड़े मंचों पर दिखाने के अवसर प्रदान करके युवा पीढ़ी को आकर्षित किया जा सकता है।
    • शैक्षिक संस्थानों में शामिल करना: स्कूलों और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पंडवानी को शामिल कर युवाओं को इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जागरूक किया जा सकता है।
    • फिल्म, डॉक्यूमेंट्री और ऑडियो रिकॉर्डिंग: पंडवानी के प्रदर्शन को रिकॉर्ड करना भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसकी विरासत को संरक्षित करने का एक कारगर तरीका है।
    • आधुनिक माध्यमों का उपयोग: सोशल मीडिया और डिजिटल платफॉर्म पर पंडवानी की प्रस्तुति और जानकारी साझा करना युवाओं तक पहुंच बनाने का एक प्रभावी तरीका साबित होगा।

    निष्कर्ष:

    पंडवानी छत्तीसगढ़ की एक अमूल्य सांस्कृतिक विरासत है। यह न केवल प्राचीन महाकाव्य की कहानी को जीवंत करती है, बल्कि गोंड समुदाय के विश्वासों और परंपराओं को भी दर्शाती है। पंडवानी का संरक्षण न केवल एक कलात्मक आवश्यकता है, बल्कि सांस्कृतिक पहचान और मूल्यों के संचार के लिए भी जरूरी है। सरकार, शिक्षण संस्थान, मीडिया और हम सभी का यह दायित्व है कि इस अमूल्य विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं और पंडवानी की लौ को जलाए रखें।

    आप पंडवानी को बचाने में योगदान दे सकते हैं। स्थानीय कलाकारों के प्रदर्शन देखने, पंडवानी अकादमी के कार्यों का समर्थन करने, शैक्षिक संस्थानों में जागरूकता फैलाने, या डिजिटल माध्यमों पर पंडवानी को साझा करके आप इस कला को जीवंत रखने में मदद कर सकते हैं। आइए सब मिलकर इस अनूठे कला रूप को संरक्षित करें और छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवित रखें।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email

    Related Posts

    राजिम कुंभ कल्प: छत्तीसगढ़ का ‘प्रयाग’, आस्था और संस्कृति का महासंगम

    February 8, 2025

    दाऊ दुलार सिंह मंदराजी: छत्तीसगढ़ की लोक कला के पुनरुद्धारक

    February 8, 2025

    बस्तर दशहरा का काछनगादी अनुष्ठान: देवी काछन की पूजा और सांस्कृतिक धरोहर

    October 5, 2024

    छत्तीसगढ़ में साल बीज: महत्व, उपयोग और संरक्षण

    May 16, 2024

    तातापानी, छत्तीसगढ़ का एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल

    January 20, 2024

    बारसूर: इंद्रावती के तट पर हिंदू सभ्यता का खोया हुआ नगर

    January 14, 2024
    Demo
    Top Posts

    वीर नारायण सिंह जिनके शौर्य से अंग्रेज भी ख़ौफ खाते थे

    June 30, 2023350 Views

    शिवनाथ नदी: छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा

    January 12, 2024145 Views

    छत्तीसगढ़ में कल्चुरियों का शासन

    June 28, 2023131 Views
    Don't Miss

    भारतीय एथलेटिक्स का चमकता सितारा: अनिमेष कुजूर

    July 10, 2025

    भारतीय एथलेटिक्स में एक नया नाम तेज़ी से उभर रहा है, और वह है अनिमेष…

    छत्तीसगढ़ का समुद्री जीवाश्म पार्क: एक प्राचीन रहस्य का अद्भुत अनावरण

    July 8, 2025

    विनोद कुमार शुक्ल: हिंदी साहित्य के शिखर पुरुष, छत्तीसगढ़ का गौरव

    March 23, 2025

    मधेश्वर पहाड़: प्रकृति का अद्भुत शिवलिंग, आस्था और रोमांच का संगम

    February 8, 2025
    Stay In Touch
    • Facebook
    • WhatsApp
    • Twitter
    • Instagram
    Latest Reviews
    Demo
    //

    We influence 20 million users and is the number one business and technology news network on the planet

    Most Popular

    वीर नारायण सिंह जिनके शौर्य से अंग्रेज भी ख़ौफ खाते थे

    June 30, 2023350 Views

    शिवनाथ नदी: छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा

    January 12, 2024145 Views

    छत्तीसगढ़ में कल्चुरियों का शासन

    June 28, 2023131 Views
    Our Picks

    भारतीय एथलेटिक्स का चमकता सितारा: अनिमेष कुजूर

    July 10, 2025

    छत्तीसगढ़ का समुद्री जीवाश्म पार्क: एक प्राचीन रहस्य का अद्भुत अनावरण

    July 8, 2025

    विनोद कुमार शुक्ल: हिंदी साहित्य के शिखर पुरुष, छत्तीसगढ़ का गौरव

    March 23, 2025

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.