Close Menu

    Subscribe to Updates

    Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

    What's Hot

    छत्तीसगढ़ का समुद्री जीवाश्म पार्क: एक प्राचीन रहस्य का अद्भुत अनावरण

    July 8, 2025

    विनोद कुमार शुक्ल: हिंदी साहित्य के शिखर पुरुष, छत्तीसगढ़ का गौरव

    March 23, 2025

    मधेश्वर पहाड़: प्रकृति का अद्भुत शिवलिंग, आस्था और रोमांच का संगम

    February 8, 2025
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Hamar GothHamar Goth
    • होम
    • कहानियाँ
    • पर्यटन
    • संस्कृति
    • इतिहास
    • खान-पान
    • बस्तर
    Hamar GothHamar Goth
    Home»इतिहास»छत्तीसगढ़ के गौरव गाथा का साक्षी: ताला का पुरातात्विक क्षेत्र
    इतिहास

    छत्तीसगढ़ के गौरव गाथा का साक्षी: ताला का पुरातात्विक क्षेत्र

    हमर गोठBy हमर गोठDecember 15, 20234 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Telegram Tumblr Email
    Tala
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    छत्तीसगढ़ की धरती इतिहास के अनछुए अध्यायों और प्राचीन सभ्यताओं के अवशेषों को अपने सीने में समेटे हुए है। इसी अनमोल विरासत का एक अलंकृत अध्याय है रायपुर जिले का ताला का पुरातात्विक क्षेत्र। महानदी नदी के तट पर बसा यह प्राचीन नगर हमें अतीत के सुनहरे पन्नों से रूबरू कराता है, जहां कला, संस्कृति और सभ्यता के शानदार अवशेष इतिहास के गवाह बनकर खड़े हैं।

    प्राचीनता का सफर:

    पुरातात्विक उत्खनन से पता चलता है कि ताला की धरती कम से कम 2000 वर्ष ईसा पूर्व से आबाद थी। यहां मिले अवशेष मौर्य, शुंग, सतवाहन, कुषाण और गुप्त काल के एक समृद्ध शहर की कहानी सुनाते हैं। मिट्टी के पात्र, सिक्के, मूर्तियां, शिलालेख और अन्य कलाकृतियां इस बात की पुष्टि करती हैं कि ताला व्यापार, संस्कृति और कला का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।

    कला और वास्तुकला का संगम:

    ताला का प्राचीन शहर विशाल और नियोजित था। मिट्टी, लकड़ी और पत्थर से बने भवनों, मंदिरों और स्तूपों के अवशेष इस बात की गवाही देते हैं। सबसे प्रभावशाली खोजों में से एक है तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व का एक विशाल शिव मंदिर। उसकी संरचना और जटिल नक्काशी उस समय की कुशल शिल्पकारिता का प्रमाण है। इसके अलावा, बौद्ध स्तूप और गुफा मंदिर भी ताला की समृद्ध धार्मिक विरासत के साक्षी हैं।

    रुद्र शिव की भव्य मूर्ति:

    ताला की सबसे प्रभावशाली खोजों में से एक है शिव की भव्य मूर्ति। लगभग 6 फीट ऊंची यह मूर्ति काले पत्थर से बनी है और इसे रुद्र शिव की मुद्रा में दर्शाया गया है। मूर्ति की आकृति भव्य और शक्तिशाली है। उसके उग्र रूप को प्रकट करती हुई भौंहें, तीखी नजरें और मुंह के कोने पर हल्की सी मुस्कान एक अद्भुत सम्मोहन पैदा करती है। मूर्ति पर नृत्य करती हुई तिलचट्टियां और हाथ में त्रिशूल शिव के विनाशक और रक्षक दोनों रूपों को उजागर करते हैं। यह मूर्ति न केवल कलात्मक दृष्टि से अद्भुत है, बल्कि ताला के प्राचीन धार्मिक मान्यताओं का भी प्रतिनिधित्व करती है।

    मिट्टी के गीत:

    ताला से मिले कलाकृतियों में मिट्टी के बर्तन, मूर्तियां और खिलौने खास महत्व रखते हैं। ये कलाकृतियां उस समय के जीवनशैली, धार्मिक मान्यताओं और कलात्मक अभिव्यक्ति की झलक दिखाती हैं। पंक्षियों, फूलों और ज्यामितीय आकृतियों की नक्काशी से सजे ये बर्तन उस समय की सांस्कृतिक समझ और सौंदर्य बोध को प्रदर्शित करते हैं।

    इतिहास के दस्तावेज:

    ताला से मिले शिलालेख और सिक्के इतिहासकारों के लिए अमूल्य स्रोत हैं। ब्राह्मी और संस्कृत लिपि में लिखे ये शिलालेख मौर्य, शुंग और सतवाहन शासकों के नाम और उपलब्धियों का उल्लेख करते हैं। सिक्कों पर मिली छापें व्यापारिक मार्गों और क्षेत्र के आर्थिक महत्व की जानकारी देती हैं।

    संरक्षण और भविष्य की उम्मीद:

    ताला का पुरातात्विक क्षेत्र राष्ट्रीय महत्व का धरोहर स्थल है। भारतीय पुरातत्व विभाग इसे संरक्षित करने और पर्यटकों के लिए सुलभ बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

    खुदाई कार्य जारी है और नए-नए खोजों से ताला के इतिहास पर प्रकाश पड़ रहा है। हाल ही में 2020 में हुई खुदाई में एक भव्य जलकुंड भी सामने आया है, जो उस समय की जल प्रबंधन प्रणाली की जटिलता का प्रमाण है।

    हालांकि, कई चुनौतियां भी हैं। अतिक्रमण, अवैध उत्खनन और आर्थिक संसाधनों का अभाव इतिहास के इन गवाहों के लिए खतरा बन सकते हैं।

    हमारी जिम्मेदारी:

    ताला का पुरातात्विक क्षेत्र केवल खंडहरों का समूह नहीं है, बल्कि यह अतीत का जीवित साक्षी है। यह हमें प्राचीन काल के कला, संस्कृति और सभ्यता के बारे में जानकारी देता है और हमारी पहचान को बनाने में मदद करता है। इसलिए, यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि इस अमूल्य विरासत की रक्षा करें और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं।

    हम यह कैसे कर सकते हैं?

    • ताला की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाएं।
    • अवैध उत्खनन और क्षति से क्षेत्र की रक्षा करें।
    • क्षेत्र के रखरखाव और संरक्षण के लिए आर्थिक और मानवीय संसाधन जुटाएं।
    • ताला को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करें, ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसकी सुंदरता और महत्व के बारे में पता चल सके।
    • स्थानीय समुदाय को विरासत संरक्षण में शामिल करें ताकि वे अपनी पहचान को समझें और उसकी रक्षा करें।

    ताला का पुरातात्विक क्षेत्र छत्तीसगढ़ के इतिहास और संस्कृति का एक अनमोल खजाना है। रूद्र शिव की भव्य मूर्ति, जलकुंड के अवशेष और अनेक अन्य कलाकृतियां हमें अपने समृद्ध अतीत की याद दिलाती हैं। इस क्षेत्र की रक्षा और संवर्धन करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। हम सभी मिलकर इस दिशा में काम कर सकते हैं और इस धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचा सकते हैं, ताकि वे भी अतीत के गौरव गाथा को सुन सकें और छत्तीसगढ़ की समृद्ध विरासत पर गर्व कर सकें।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email

    Related Posts

    मधेश्वर पहाड़: प्रकृति का अद्भुत शिवलिंग, आस्था और रोमांच का संगम

    February 8, 2025

    राजिम कुंभ कल्प: छत्तीसगढ़ का ‘प्रयाग’, आस्था और संस्कृति का महासंगम

    February 8, 2025

    खुटाघाट बांध: प्रकृति और इंजीनियरिंग का अद्भुत संगम

    February 8, 2025

    श्री महामाया देवी मंदिर, रतनपुर: शक्ति और आस्था का संगम

    February 8, 2025

    धुड़मारास: एक कहानी, एक एहसास, एक सफर

    January 30, 2025

    तातापानी, छत्तीसगढ़ का एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल

    January 20, 2024
    Demo
    Top Posts

    वीर नारायण सिंह जिनके शौर्य से अंग्रेज भी ख़ौफ खाते थे

    June 30, 2023349 Views

    शिवनाथ नदी: छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा

    January 12, 2024138 Views

    छत्तीसगढ़ में कल्चुरियों का शासन

    June 28, 2023129 Views
    Don't Miss

    छत्तीसगढ़ का समुद्री जीवाश्म पार्क: एक प्राचीन रहस्य का अद्भुत अनावरण

    July 8, 2025

    छत्तीसगढ़, जिसे अक्सर अपनी घनी हरियाली और आदिवासी संस्कृति के लिए जाना जाता है, अब…

    विनोद कुमार शुक्ल: हिंदी साहित्य के शिखर पुरुष, छत्तीसगढ़ का गौरव

    March 23, 2025

    मधेश्वर पहाड़: प्रकृति का अद्भुत शिवलिंग, आस्था और रोमांच का संगम

    February 8, 2025

    राजिम कुंभ कल्प: छत्तीसगढ़ का ‘प्रयाग’, आस्था और संस्कृति का महासंगम

    February 8, 2025
    Stay In Touch
    • Facebook
    • WhatsApp
    • Twitter
    • Instagram
    Latest Reviews
    Demo
    //

    We influence 20 million users and is the number one business and technology news network on the planet

    Most Popular

    वीर नारायण सिंह जिनके शौर्य से अंग्रेज भी ख़ौफ खाते थे

    June 30, 2023349 Views

    शिवनाथ नदी: छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा

    January 12, 2024138 Views

    छत्तीसगढ़ में कल्चुरियों का शासन

    June 28, 2023129 Views
    Our Picks

    छत्तीसगढ़ का समुद्री जीवाश्म पार्क: एक प्राचीन रहस्य का अद्भुत अनावरण

    July 8, 2025

    विनोद कुमार शुक्ल: हिंदी साहित्य के शिखर पुरुष, छत्तीसगढ़ का गौरव

    March 23, 2025

    मधेश्वर पहाड़: प्रकृति का अद्भुत शिवलिंग, आस्था और रोमांच का संगम

    February 8, 2025

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.