छत्तीसगढ़ की धरती कलाकारों की उर्वर भूमि रही है, और इस धरती पुत्रों में से एक हैं पंडित रामलाल बरेठ। उन्हें 2024 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्मश्री से सम्मानित किया गया। पंडित जी रायगढ़ जिले के रहने वाले हैं और उन्हें कत्थक नृत्य जगत में एक अग्रणी कलाकार के रूप में जाना जाता है।
कला की विरासत, बचपन से लगाव:
6 मार्च 1936 को जन्मे रामलाल बरेठ का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जहां कलाओं को पीढ़ियों से सँजोया जाता था। उनके पिता, पंडित कार्तिक राम, एक प्रसिद्ध तबला वादक थे। ऐसे माहौल में रामलाल जी का कला के प्रति रुझान स्वाभाविक ही था। मात्र 5 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपने पिता से कत्थक सीखना शुरू कर दिया। उनकी प्रतिभा इतनी तेज थी कि मात्र 10 वर्ष की आयु में ही वे रायगढ़ दरबार में कला के प्रति उत्साही राज दरबारियों के सामने अपना नृत्य कौशल दिखा रहे थे।
नृत्य में निरंतर साधना और रायगढ़ शैली का जन्म:
पंडित रामलाल बरेठ ने कत्थक को अपना जीवन समर्पित कर दिया। 60 से भी अधिक वर्षों से वे इस नृत्य कला को निरंतर समृद्ध कर रहे हैं। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी अपनी प्रस्तुतियां देकर कत्थक की धाक जमाई है। परंतु उनका सबसे बड़ा योगदान कत्थक में एक नई शैली, रायगढ़ घराने को जन्म देना माना जाता है।
रायगढ़ घराने की विशेषताएं:
रायगढ़ घराना अपनी तेज गति, लयबद्धता और भावों को गहराई से अभिव्यक्त करने के लिए जाना जाता है। इसमें नृत्यकला की बारीकियों के साथ-साथ अभिनय को भी विशेष महत्व दिया जाता है। पंडित रामलाल बरेठ के अनुसार, कत्थक नृत्य केवल पैरों की थिरकन नहीं बल्कि आस्था, प्रेम और भक्ति की भावनाओं को भी प्रदर्शित करने का एक माध्यम है।
शिष्यों को सिखाया, कला को आगे बढ़ाया:
पंडित रामलाल बरेठ ने न सिर्फ स्वयं कत्थक में महारत हासिल की बल्कि उन्होंने कई शिष्यों को भी प्रशिक्षित किया है। ये शिष्य आज भारत और विश्व भर में रायगढ़ घराने की ध्वज फहरा रहे हैं। उनका मानना है कि कला को जीवित रखने के लिए उसे निरंतर सीखाया और सिखाया जाना चाहिए।
पद्मश्री सम्मान और देश का गौरव:
2024 में पद्मश्री से सम्मानित किए जाना पंडित रामलाल बरेठ की कला यात्रा का एक सुनहरा अध्याय है। यह सम्मान न केवल उनके लिए गौरव का विषय है बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और भारत के लिए भी गर्व की बात है।
पंडित रामलाल बरेठ न सिर्फ एक महान कलाकार हैं बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं। उन्होंने कठिन परिश्रम और लगन से नृत्य कला में महारत हासिल की और एक नये घराने को जन्म देकर कत्थक को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।