गुनो बाई ने पीएम आवास को स्कूल बनाकर बच्चों का भविष्य संवारा
गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड के मुड़ागांव में एक प्रेरणादायक घटना सामने आई है। विधवा गुनो बाई ने अपनी पीड़ा को बच्चों की शिक्षा में बदला है। उन्होंने अपना पीएम…
कोलियारी भाजी: बस्तर, छत्तीसगढ़ का स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन
बस्तर, छत्तीसगढ़ अपनी समृद्ध संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता और स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए जाना जाता है। इन व्यंजनों में से एक है "कोलियारी भाजी", जो अपनी अनोखी स्वाद और पौष्टिकता के…
छत्तीसगढ़ में साल बीज: महत्व, उपयोग और संरक्षण
साल का वृक्ष छत्तीसगढ़ का राजकीय वृक्ष होने के साथ-साथ वहां के जंगलों और आदिवासी जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। साल के बीज न सिर्फ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए…
माता-पिता के सपनों से आगे: विशाल सुदर्शनवार का बॉलीवुड का रास्ता
हर पिता का सपना होता है कि उसका बेटा उससे भी आगे बढ़े। आज हम आपको ऐसे ही एक बेटे की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनके पिता विलास सुदर्शनवार…
पद्मश्री वैद्यराज हेमचंद माझी: अबूझमाड़ के जंगलों से निकला आयुर्वेद का ज्ञान
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के रहने वाले वैद्यराज हेमचंद माझी को 2024 के पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। हेमचंद माझी अपने जड़ी-बूटियों के ज्ञान और आदिवासी समाज के…
रायगढ़ के रत्न: पद्मश्री रामलाल बरेठ और कत्थक का रायगढ़ घराना
छत्तीसगढ़ की धरती कलाकारों की उर्वर भूमि रही है, और इस धरती पुत्रों में से एक हैं पंडित रामलाल बरेठ। उन्हें 2024 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्मश्री…
जागेश्वर यादव: बिरहोर आदिवासियों के उत्थान के लिए समर्पित जीवन
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के ग्राम पंचायत भितघरा के रहने वाले जागेश्वर यादव एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने जीवन को बिरहोर आदिवासियों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया…
गुरु घासीदास: छत्तीसगढ़ के संत, समाज सुधारक और सत्य के नायक
छत्तीसगढ़ की धरती को कई महान हस्तियों ने जन्म दिया है, जिनमें सतनाम पंथ के संस्थापक गुरु घासीदास का नाम उज्ज्वल है। 18 दिसंबर 1756 को गिरौदपुरी गांव में जन्मे…
तातापानी, छत्तीसगढ़ का एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल
तातापानी छत्तीसगढ़ राज्य के बलरामपुर जिले में स्थित एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल है। यह स्थान अपने प्राकृतिक रूप से निकलते गरम पानी के लिए प्रसिद्ध है। यहां के कुंडों और…
बारसूर: इंद्रावती के तट पर हिंदू सभ्यता का खोया हुआ नगर
दंतेवाड़ा जिले के जगदलपुर से लगभग 75 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में, इंद्रावती नदी के तट पर बसा बारसूर का गाँव एक समय हिंदू सभ्यता का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। माना…