छत्तीसगढ़, जिसे अक्सर अपनी घनी हरियाली और आदिवासी संस्कृति के लिए जाना जाता है, अब एक ऐसे अद्भुत रहस्य का अनावरण कर रहा है जो हमें करोड़ों साल पुराने इतिहास में ले जाता है – “गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क”। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के आमाखेरवा में हसदेव नदी के किनारे स्थित यह पार्क, न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे एशिया का सबसे बड़ा समुद्री जीवाश्म पार्क बनने की ओर अग्रसर है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि कैसे कभी यह भू-भाग गहरे समुद्र का हिस्सा हुआ करता था।
एक भूगर्भीय खजाना:
इस समुद्री जीवाश्म पार्क में 25 से 29 करोड़ वर्ष पुराने समुद्री जीवों और वनस्पतियों के जीवाश्म मौजूद हैं। यहां बाइवाल्व मोलस्का (Eurydesma, Aviculopecten), गैस्ट्रोपोड्स, ब्रेकियोपोड्स, ब्रायोजोअन्स और क्रिनॉइड्स जैसी प्रजातियों के जीवाश्म पाए गए हैं। ये जीवाश्म परमियन युग के हैं, जब पृथ्वी का भूगर्भीय परिदृश्य आज से बहुत अलग था। वैज्ञानिकों का मानना है कि आज जहां हसदेव नदी बहती है, वहां कभी विशाल ग्लेशियर थे। भूगर्भीय परिवर्तनों के कारण, यह क्षेत्र ‘टेथिस सागर’ का हिस्सा बन गया, जिससे समुद्री जीवन यहां पनपने लगा। समय के साथ, ये जीव विलुप्त हो गए, लेकिन उनके संरक्षित जीवाश्म पृथ्वी पर जीवन के इतिहास की अमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं।
खोज और संरक्षण:
इस जीवाश्म स्थल की पहचान पहली बार 1954 में भूवैज्ञानिक एस.के. घोष ने कोयला खनन के दौरान की थी। इसके बाद, 2015 में लखनऊ के बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज के विशेषज्ञों ने इन जीवाश्मों के महत्व की पुष्टि की। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने 1982 में ही इसे एक राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक का दर्जा दिया था, जो इसके असाधारण वैज्ञानिक मूल्य को दर्शाता है।
छत्तीसगढ़ सरकार इस अनमोल धरोहर को संरक्षित करने और विकसित करने के लिए विशेष प्रयास कर रही है। इसे एक बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां पर्यटक और वैज्ञानिक दोनों ही पृथ्वी के विकास और प्राचीन जीवों की कहानी को समझ सकेंगे। पार्क के विकास के लिए 41.99 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें बुनियादी ढांचे में सुधार, पर्यटकों की सुविधाओं में वृद्धि और अनुसंधान को बढ़ावा देना शामिल है।
पर्यटन और शिक्षा का केंद्र:
गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क केवल एक वैज्ञानिक स्थल नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल भी बन रहा है। यहां जुरासिक रॉक गार्डन विकसित किया गया है, जिसमें प्राचीन भूगर्भीय और उभयचर जीवों की जीवन-आकार की मूर्तियां हैं। एक इंटरप्रिटेशन सेंटर भी बनाया गया है, जो जीवाश्म बनने की प्रक्रिया और पृथ्वी के 4.5 अरब साल के सफर को चित्रों और जीवाश्मों के प्रदर्शन के माध्यम से समझाता है। पर्यटक यहां नेचर ट्रेल, हसदेव नदी में बैम्बू राफ्टिंग का आनंद ले सकते हैं और भविष्य में कैक्टस गार्डन और बैम्बू सेतुम भी विकसित किए जाएंगे।
यह पार्क छत्तीसगढ़ को वैश्विक मानचित्र पर एक प्रमुख वैज्ञानिक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करेगा, जो हमारी आने वाली पीढ़ियों को पृथ्वी के प्राचीन अतीत को समझने का अवसर प्रदान करेगा। यह दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता ही नहीं, बल्कि एक गहरा और अनमोल भूगर्भीय इतिहास भी समेटे हुए है।