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Author: हमर गोठ
धुड़मारास। नाम सुनते ही एक शांत सी तस्वीर उभर आती है – घने जंगल, बहती नदी, और आदिवासियों की एक अनोखी दुनिया। ये सिर्फ एक गाँव नहीं, ये छत्तीसगढ़ के दिल में छुपा एक एहसास है, एक कहानी है, एक सफर है खुद को, प्रकृति को और ज़िंदगी को करीब से जानने का। कांगेर घाटी नेशनल पार्क की गोद में बसा ये गाँव, आपको शहरों की भीड़-भाड़ से दूर, एक अलग ही दुनिया में ले जाता है। यहाँ की हवा में एक ताजगी है, मिट्टी में एक अपनापन, और लोगों में एक सादगी जो आजकल मुश्किल से मिलती है। कैसे…
बस्तर संभाग के गढ़ बेंगाल, नारायणपुर निवासी पंडीराम मंडावी को हाल ही में प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 68 वर्षीय मंडावी, जो गोंड मुरिया जनजाति से ताल्लुक रखते हैं, अपनी अद्वितीय शिल्पकला के लिए जाने जाते हैं। लकड़ी और बांस की कला का जादूगर मंडावी मुख्यतः लकड़ी और बांस से बनी वस्तुओं को बनाने में माहिर हैं। विशेषकर बस्तर की पारंपरिक बांसुरी, जिसे ‘सुलुर’ कहा जाता है, उनके द्वारा बनाई गई बांसुरी काफी प्रसिद्ध हैं। इन बांसुरीओं को बनाने के लिए वे विशिष्ट प्रकार के बांस का उपयोग करते हैं, जिससे इनका स्वर और ध्वनि बेहद मधुर…
बस्तर का दशहरा भारतीय त्योहारों में एक अनूठा और विशेष स्थान रखता है, जो न केवल अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहरों के कारण भी विशेष है। इस दशहरे की शुरुआत काछनगादी अनुष्ठान से होती है, जो बस्तर की पनका जाति द्वारा संपन्न किया जाता है। यह अनुष्ठान बस्तर दशहरे की सफलता के लिए आवश्यक होता है, जिसमें काछन देवी की अनुमति ली जाती है। काछनगादी रस्म के बिना दशहरे का उत्सव अधूरा माना जाता है, और यह रस्म बस्तर के राज परिवार और जनता के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध को दर्शाता है। काछनगादी…
छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ जिले में स्थित कोसमनारा गांव, श्री श्री 108 श्री सत्यनारायण बाबा के धाम के लिए जाना जाता है। यह धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के बीच अत्यंत प्रसिद्ध है और भगवान विष्णु के अवतार श्री सत्यनारायण बाबा की पूजा के लिए समर्पित है। श्री श्री 108 श्री सत्यनारायण बाबा, जिन्हें भक्त प्यार से “बाबाजी” के नाम से जानते हैं, एक प्रसिद्ध भारतीय संत और आध्यात्मिक गुरु हैं। उनका जन्म 12 जुलाई 1984 को छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के देवरी गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। बाबा सत्यनारायण 1998 से ही तपस्या में लीन हैं। 2003 में…
गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड के मुड़ागांव में एक प्रेरणादायक घटना सामने आई है। विधवा गुनो बाई ने अपनी पीड़ा को बच्चों की शिक्षा में बदला है। उन्होंने अपना पीएम आवास गांव के बच्चों के लिए स्कूल में बदल दिया है। गुनो बाई के बेटे के साथ ही गांव के 22 बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं। पुराने जर्जर भवन में स्कूल चलने की समस्या को देखकर गुनो बाई ने यह कदम उठाया। जर्जर भवन में स्कूल का खतरा गांव का चाचारापारा प्राथमिक स्कूल 1997 में बने जर्जर भवन में चल रहा था। 2006 में नए भवन के लिए 4…
बस्तर, छत्तीसगढ़ अपनी समृद्ध संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता और स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए जाना जाता है। इन व्यंजनों में से एक है “कोलियारी भाजी”, जो अपनी अनोखी स्वाद और पौष्टिकता के लिए प्रसिद्ध है। यह भाजी बस्तर के आदिवासी समुदायों द्वारा पारंपरिक रूप से बनाई जाती है और अब यह पूरे क्षेत्र में लोकप्रिय हो गई है। कोलियारी भाजी क्या है? कोलियारी भाजी, जिसे “कोलियार साग” या “कोलियार भात” भी कहा जाता है, एक प्रकार की हरी सब्जी है जो जंगली पत्तियों से बनाई जाती है। यह भाजी मुख्य रूप से “कोलियारी” नामक जंगली पौधे की पत्तियों से बनाई जाती है,…
साल का वृक्ष छत्तीसगढ़ का राजकीय वृक्ष होने के साथ-साथ वहां के जंगलों और आदिवासी जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। साल के बीज न सिर्फ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि आदिवासी समुदायों की आजीविका का भी एक सहारा हैं। आइए, इस लेख में हम साल के बीज के छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले महत्व, उपयोग और उसके संरक्षण की जरूरत के बारे में विस्तार से जानें। साल के बीज का महत्व साल के बीजों का उपयोग साल के बीजों का उपयोग सिर्फ खाने के लिए ही नहीं, बल्कि कई अन्य कार्यों में भी किया जाता है: साल…
हर पिता का सपना होता है कि उसका बेटा उससे भी आगे बढ़े। आज हम आपको ऐसे ही एक बेटे की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनके पिता विलास सुदर्शनवार श्याम सिनेमा में बुकिंग क्लर्क थे, और बेटा सिल्वर स्क्रीन तक पहुंच गया। यह कहानी है बूढ़ापारा निवासी विशाल सुदर्शनवार की। हालिया रिलीज बॉलीवुड फिल्म योद्धा में विशाल ने भी अभिनय किया है। उन्होंने जूनियर ऑफिसर शर्माजी का किरदार प्ले किया है जो इंडियन एअरफोर्स का कमांडो है। वह ग्राउंड कंट्रोलिंग यूनिट में तैनात है। जब फ्लाइट हाईजैक होती है तो सबसे पहले जानकारी उसी के पास आती है। वह…
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के रहने वाले वैद्यराज हेमचंद माझी को 2024 के पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। हेमचंद माझी अपने जड़ी-बूटियों के ज्ञान और आदिवासी समाज के पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए जाने जाते हैं। वन धन के संरक्षक: हेमचंद माझी ने पिछले 50 वर्षों से अधिक समय से अबूझमाड़ के घने जंगलों में पाए जाने वाली दुर्लभ जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल से लोगों का इलाज कर रहे हैं। उन्हें इन जड़ी-बूटियों के औषधीय गुणों का गहरा ज्ञान है। वे न केवल बीमारी का इलाज करते हैं, बल्कि जंगलों के संरक्षण के लिए भी काम करते हैं। जड़ी-बूटियों…
छत्तीसगढ़ की धरती कलाकारों की उर्वर भूमि रही है, और इस धरती पुत्रों में से एक हैं पंडित रामलाल बरेठ। उन्हें 2024 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्मश्री से सम्मानित किया गया। पंडित जी रायगढ़ जिले के रहने वाले हैं और उन्हें कत्थक नृत्य जगत में एक अग्रणी कलाकार के रूप में जाना जाता है। कला की विरासत, बचपन से लगाव: 6 मार्च 1936 को जन्मे रामलाल बरेठ का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जहां कलाओं को पीढ़ियों से सँजोया जाता था। उनके पिता, पंडित कार्तिक राम, एक प्रसिद्ध तबला वादक थे। ऐसे माहौल में रामलाल…
