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Author: हमर गोठ
छत्तीसगढ़ की धरती इतिहास के अनछुए अध्यायों और प्राचीन सभ्यताओं के अवशेषों को अपने सीने में समेटे हुए है। इसी अनमोल विरासत का एक अलंकृत अध्याय है रायपुर जिले का ताला का पुरातात्विक क्षेत्र। महानदी नदी के तट पर बसा यह प्राचीन नगर हमें अतीत के सुनहरे पन्नों से रूबरू कराता है, जहां कला, संस्कृति और सभ्यता के शानदार अवशेष इतिहास के गवाह बनकर खड़े हैं। प्राचीनता का सफर: पुरातात्विक उत्खनन से पता चलता है कि ताला की धरती कम से कम 2000 वर्ष ईसा पूर्व से आबाद थी। यहां मिले अवशेष मौर्य, शुंग, सतवाहन, कुषाण और गुप्त काल के…
छतीसगढ़ के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक जांजगीर चांपा जिले के चन्द्रपुर की छोटी सी पहाड़ी के ऊपर विराजिती है मां चंद्रहासिनी. साथ ही यहां बने पौराणिक व धार्मिक कथाओं की सुंदर झाकियां, लगभग 100 फीट विशालकाय महादेव पार्वती की मूर्ति, आदि मां चंद्रहासिनी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का मन मोह लेती है. चारों ओर से प्राकृतिक मनमोहक सुंदरता से घिरे चंद्रपुर की खूबसूरती देखने लायक है. महानदी व माण्ड नदी के बीच बसे चंद्रपुर में मां दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक स्वरूप मां चंद्रहासिनी के रूप में विराजित है. पहले यहां बलि प्रथा…
छत्तीसगढ़ की धरती लोककलाओं का खजाना है, और इनमें से एक अनूठा रत्न है – दादरिया। यह लयबद्ध नृत्य केवल पैरों को नहीं थिरकाता, बल्कि सामुदायिक भावना को जगाता है, परंपराओं को संजोता है और जीवन का उत्सव मनाता है। आइए, इस लेख में दादरिया के रंगों में डूब जाएं और इसकी लय में खो जाएं। उत्पत्ति और इतिहास: दादरिया की जड़ें छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों, खासकर गोंड, बैगा, भुमिया और हाल्बा में पाई जाती हैं। सदियों पहले, ये समुदाय अपने जीवन, प्रकृति और विश्वासों को अभिव्यक्त करने के लिए एक लयबद्ध माध्यम खोज रहे थे। दादरिया का जन्म उसी…
छत्तीसगढ़ की धरती प्राचीन परंपराओं और लोककलाओं का खजाना है। इनमें से एक अनमोल रत्न है पंडवानी, जो महाभारत की पावन कथा को एक नाटकीय और गेय शैली में प्रस्तुत करती है। यह लेख पंडवानी की उत्पत्ति, शैली, सांस्कृतिक महत्व, वर्तमान स्थिति और कलाकारों की कहानियों के माध्यम से आपको इस कला के जादुई संसार में ले जाएगा। उत्पत्ति और इतिहास: पंडवानी की उत्पत्ति छत्तीसगढ़ के गोंड आदिवासी समुदाय से जुड़ी हुई है। सदियों पहले, गोंड कथाकारों ने महाभारत की गाथा को अपनी लोक परंपराओं, देवी-देवताओं और प्रकृति के साथ सम्मिश्रित कर एक अनूठी वाचिक परंपरा को जन्म दिया। इस…
छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति अपनी विविधता और समृद्धि के लिए जानी जाती है। यहां के आदिवासी समुदाय अपनी अनूठी परंपराओं, कला और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें से एक नृत्य है गौर माड़िया नृत्य, जो छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में रहने वाले माड़िया आदिवासियों द्वारा किया जाता है। इतिहास: गौर माड़िया नृत्य का इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि यह नृत्य हजारों सालों से माड़िया आदिवासियों द्वारा किया जा रहा है। यह नृत्य माड़िया आदिवासियों के जीवन और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। महत्व: गौर माड़िया नृत्य माड़िया आदिवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आयोजन है।…
छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता में इंद्रावती नदी एक अनमोल रत्न है। यह नदी न केवल प्राकृतिक दृश्य को मनमोहक बनाती है, बल्कि राज्य के जीवन और आर्थिक विकास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज हम इस लेख में इंद्रावती नदी के उद्गम, मार्ग, विशेषताओं, महत्व, वर्तमान स्थिति और संरक्षण के उपायों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। उद्गम और मार्ग: इंद्रावती नदी का उद्गम ओडिशा के कालाहांडी जिले के एक छोटे से गांव रामपुर थुयामूल में होता है। वहां से यह नदी लगभग 535 किलोमीटर की लंबी यात्रा करती है और छत्तीसगढ़ के बस्तर और दंतेवाड़ा जिलों से…
छत्तीसगढ़ की धरती वीर योद्धाओं की भूमि है। इनमें से एक नाम सबसे ऊपर है – भोरमदेव। वीरता और साहस का प्रतीक, भोरमदेव की कहानी आज भी छत्तीसगढ़ के लोगों को प्रेरित करती है। भोरमदेव का जन्म और प्रारंभिक जीवन: भोरमदेव का जन्म छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में स्थित मल्हार गांव में हुआ था। बचपन से ही भोरमदेव में असाधारण शक्ति और वीरता के गुण विद्यमान थे। वह न केवल कुशल योद्धा थे, बल्कि न्यायप्रिय और दयालु भी थे। भोरमदेव और सत्ता का संघर्ष: भोरमदेव के समय में छत्तीसगढ़ पर एक क्रूर राजा का शासन था। राजा अत्याचारी था और…
छत्तीसगढ़ की धरती न सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, बल्कि यह धार्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। छत्तीसगढ़, भगवान राम की माता, माता कौशल्या का जन्मस्थान होने के कारण भी जाना जाता है। माता कौशल्या की कथा छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। माता कौशल्या का जन्म: मान्यता के अनुसार, माता कौशल्या का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के अंतर्गत चंदखुरी गांव में हुआ था। इस गांव में एक प्राचीन मंदिर है, जिसे माता कौशल्या के जन्मस्थान के रूप में माना जाता है। इस मंदिर में माता कौशल्या की प्रतिमा स्थापित…
छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों में कोदो की खीर एक अनोखी और पौष्टिक मिठाई है। यह स्वादिष्ट और सेहतमंद होने के साथ-साथ बनाने में भी आसान है। कोदो का चावल प्रोटीन, फाइबर और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो इसे एक स्वस्थ्य डाइट विकल्प बनाता है। कोदो की खीर बच्चों और बड़ों सभी को पसंद आती है और इसे त्योहारों और विशेष अवसरों पर भी बनाया जाता है। कोदो की खीर की खासियत: कोदो की खीर बनाने की विधि: सामग्री: बनाने की विधि: टिप्स: तो आज ही छत्तीसगढ़ की इस स्वादिष्ट और पौष्टिक मिठाई को बनाने की कोशिश करें…
छत्तीसगढ़ के वनों में पाए जाने वाला महुआ का पेड़ ना सिर्फ औषधीय गुणों से भरपूर है बल्कि इसका उपयोग कई स्वादिष्ट व्यंजनों को बनाने में भी किया जाता है। उनमें से एक है महुआ लाडू, जो अपनी अनोखी सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है। यह एक पौष्टिक और ऊर्जा से भरपूर व्यंजन है जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा में एक विशेष स्थान रखता है। महुआ लाडू की खासियत: महुआ लाडू बनाने की विधि: सामग्री: बनाने की विधि: टिप्स: तो आज ही छत्तीसगढ़ के जंगलों के इस मीठे खजाने, महुआ लाडू को बनाने की कोशिश करें और…