Close Menu

    Subscribe to Updates

    Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

    What's Hot

    चक्रधर समारोह: कला और संस्कृति का महाकुंभ

    August 27, 2025

    उल्टा पानी: प्रकृति का एक अनोखा चमत्कार

    August 22, 2025

    मछली प्वाइंट, मैनपाट: प्रकृति का अद्भुत जलप्रपात

    August 22, 2025
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Hamar GothHamar Goth
    • होम
    • कहानियाँ
    • पर्यटन
    • संस्कृति
    • इतिहास
    • खान-पान
    • बस्तर
    Hamar GothHamar Goth
    Home»संस्कृति»छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार : हरेली
    संस्कृति

    छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार : हरेली

    हमर गोठBy हमर गोठJune 27, 20234 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Telegram Tumblr Email
    hareli-festival
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    हरेली छत्तीसगढ़ का पहला क्षेत्रीय त्यौहार है। जैसा नाम से ही पता चलता है इसका संबंध हरियाली से है। यह प्रकृति के प्रति प्रेम और समर्पण का त्यौहार है, जिसे छत्तीसगढ़ में प्रथम त्यौहार के रूप में सामूहिक ढंग से मनाया जाता है। हरेली त्यौहार हिन्दुओं के पवित्र महीने श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या को मनाया जाता है| इस दिन छत्तीसगढ़ राज्य में क्षेत्रीय सार्वजनिक अवकाश होता है।

    हरेली तिहार के पहले तक किसान अपनी फसलों की बोआई या रोपाई का काम पूरा कर लेते हैं और इस दिन नागर, कोपर, गैंती, कुदाली, रांपा समेत कृषि के काम आने वाले अन्य औजारों एवं यंत्रो की साफ-सफाई कर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं, और  हरेली त्यौहार के दौरान लोग अपने-अपने खेतों में भेलवा के पेड़ की डाली लगाते हैं। इसी के साथ घरों के प्रवेश द्वार पर नीम के पेड़ की शाखाएं भी लगाई जाती हैं। नीम में औषधीय गुण होते हैं जो बीमारियों के साथ-साथ कीड़ों से भी बचाते हैं| 

    इस दिन बैल, भैंस और गाय को बीमारी से बचाने के लिए बगरंडा और नमक खिलाने की परंपरा है। लिहाजा, गाँव में यादव समाज के लोग सुबह से ही सभी घरों में जाकर गाय, बैल और भैंसों को नमक और बगरंडा की पत्ती खिलाते हैं। इस दिन यादव समाज के लोगों को भी स्वेच्छा से दाल, चावल, सब्जी और अन्य उपहार दिए जाएँगे। इसके अलावा कुलदेवता और ग्राम देवता के सामने बलि भी यादव समाज के द्वारा ही दिलाई जाती है।

    गेड़ी

    हरेली में गेड़ी का एक विशेष स्थान है। हरेली के दिन लोग बांस से गेड़ी बनाते है जिसमें पैर रखने के खांचे होते है जिसमे बांस से ही बने पैरदान लगाए जाते है पैर रखने के लिए। जिसे बॉस को फाड़ कर के बनाया जाता है। इस पैरदान को पउवा कहा जाता है। इसमें चढ़कर बच्चे खेत के चक्कर लगाते हैं। पहले कुछ लोग पउआ में मिट्टीतेल डाला करते थे जिससे चलाने पर आवाज आती थी। ध्वनि निकालने के लिए गेड़ी को मच कर चलाया जाता है।

    नारियल प्रतियोगिता

    हरेली में गाँव व शहरों में नारियल फेंक प्रतियोगिता होती है। सुबह पूजा-अर्चना के बाद गाँव के चौक-चौराहों पर युवाओं की टोली जुटती है और नारियल फेंक प्रतियोगिता होती है। नारियल हारने और जीतने का यह सिलसिला देर रात तक चलता है ।इसमें पुरस्कार के रूप में नारियल मिलता है। इसे नरियर जितउल भी कहा जाता है।

    सवनाही

    महिलायें हरेली के दिन घर के मुख्य द्वार पर गोबर से सवनाही का अंकन करती है।

    अमूस तिहार

    हरेली के ही दिन बस्तर क्षेत्र में अमूस मनाया जाता है। इस दिन गांव वाले खेतों में औषधीय जड़ी-बूटियों के साथ तेंदू पेड़ की पतली छड़ी गाड़ते है।

    तंत्र विद्या

    श्रावण कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी हरेली के दिन से तंत्र विद्या की शिक्षा देने की शुरुआत की जाती है। इसी दिन से प्रदेश में लोकहित की दृष्टि से जिज्ञासु शिष्यों को पीलिया, विष उतारने, नजर से बचाने, महामारी और बाहरी हवा से बचाने समेत कई तरह की समस्याओं से बचाने के लिए मंत्र सिखाया जाता है । तंत्र दीक्षा देने का यह सिलसिला भाद्र शुक्ल पंचमी तक चलता है।

    लोहार का महत्व

    हरेली के दिन गाँव-गाँव में लोहारों की पूछपरख बढ़ जाती है। इस दिन लोहार हर घर के मुख्य द्वार पर नीम की पत्ती लगाकर और चौखट में कील ठोंककर आशीष देते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उस घर में रहने वालों की अनिष्ट से रक्षा होती है। इसके बदले में किसान उन्हे दान स्वरूप स्वेच्छा से दाल, चावल, सब्जी और नगद राशि देते हैं।

    हरेली तिहार में विभिन्न रस्में 

    • इस दिन दइहान में पशुधन को चावल आटे की लोंदी खिलाने की परंपरा है|   
    • घर में अंगाकर रोटी, बरा-सोहारी एवं गुड़ का चीला बनाने की भी रस्म है|  
    • इस दिन प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करते हुए और वर्ष में अच्छी फसल की कामना करते हुए किसान अपने कुल देवता एवं ग्राम देवता की पूजा करते हैं| 
    • हरेली त्यौहार के दिन कृषि उपकरण एवं औजारों की पूजा की जाती है| 
    • बच्चे इस दिन गेड़ी चढ़कर खेतों के चक्कर लगाते हैं| इसी के साथ खो-खो और नारियल फेंक प्रतियोगिता का आयोजन भी इस दिन किया जाता है| 
    • लोहार जाति के लोग इस दिन अपने घर को अनिष्ट शक्तियों से बचाने के लिए घर के हर दरवाजे पर पाती ठोंकते हैं| पाती लोहार द्वारा बनाया एक लोहे का नोकीला कील होता है|  
    • कई लोगों में यह अंधविश्वास है कि श्रावण अमावस्या की रात को घर से नहीं निकलना चाहिए| माना जाता है कि इस दिन अनिष्ट शक्तियां तंत्र-साधना और जादू-टोना सिद्ध करती हैं इसलिए इनसे रक्षा हेतु घर के बाहरी दीवारों पर गोबर से प्रेत बनाया जाता है और घर के दरवाजे पर पाती ठोका जाता है, ताकि यह शक्तियां इसे भेद न सकें| 
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email

    Related Posts

    राजिम कुंभ कल्प: छत्तीसगढ़ का ‘प्रयाग’, आस्था और संस्कृति का महासंगम

    February 8, 2025

    बस्तर दशहरा का काछनगादी अनुष्ठान: देवी काछन की पूजा और सांस्कृतिक धरोहर

    October 5, 2024

    श्री राम की शिक्षाओं और कहानियों ने छत्तीसगढ़ी संस्कृति को कैसे आकार दिया है?

    January 11, 2024

    राम नामी समाज: राम नाम की महिमा का प्रचार करने वाला समुदाय

    January 11, 2024

    छत्तीसगढ़ का लयबद्ध लोकनृत्य: दादरिया

    December 15, 2023

    पंडवानी: छत्तीसगढ़ की प्राचीन महाकाव्य परंपरा

    December 15, 2023
    Demo
    Top Posts

    वीर नारायण सिंह जिनके शौर्य से अंग्रेज भी ख़ौफ खाते थे

    June 30, 2023405 Views

    शिवनाथ नदी: छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा

    January 12, 2024221 Views

    छत्तीसगढ़ के पवित्र महानदी की कहानी

    June 25, 2023198 Views
    Don't Miss

    चक्रधर समारोह: कला और संस्कृति का महाकुंभ

    August 27, 2025

    छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में हर साल गणेश चतुर्थी के अवसर पर आयोजित होने वाला…

    उल्टा पानी: प्रकृति का एक अनोखा चमत्कार

    August 22, 2025

    मछली प्वाइंट, मैनपाट: प्रकृति का अद्भुत जलप्रपात

    August 22, 2025

    ठिनठिनी पत्थर: सरगुजा का अद्भुत रहस्य

    August 22, 2025
    Stay In Touch
    • Facebook
    • WhatsApp
    • Twitter
    • Instagram
    Latest Reviews
    Demo
    //

    We influence 20 million users and is the number one business and technology news network on the planet

    Most Popular

    वीर नारायण सिंह जिनके शौर्य से अंग्रेज भी ख़ौफ खाते थे

    June 30, 2023405 Views

    शिवनाथ नदी: छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा

    January 12, 2024221 Views

    छत्तीसगढ़ के पवित्र महानदी की कहानी

    June 25, 2023198 Views
    Our Picks

    चक्रधर समारोह: कला और संस्कृति का महाकुंभ

    August 27, 2025

    उल्टा पानी: प्रकृति का एक अनोखा चमत्कार

    August 22, 2025

    मछली प्वाइंट, मैनपाट: प्रकृति का अद्भुत जलप्रपात

    August 22, 2025

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.