पौष्टिकता से भरपूर, कई रोगों में कारगर बोरे-बासी की चर्चा इन दिनों देशभर में हो रही है। वैसे बोरे-बासी एक छत्तीसगढ़ी व्यंजन है, लेकिन भारत के अन्य हिस्सों में भी इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। आज हम आपको बता रहे हैं बोरे-बासी क्या है, इसे और क्या कहते, कैसे बनाया जाता, इसके क्या फयदे हैं।
बोरे-बासी क्या है?
वैसे तो बोरे-बासी Bore Basi दो शब्द हैं, लेकिन इसे एक ही व्यंजन के लिए उपयोग किया जाता है। गर्मियों के मौसम में छत्तीसगढ़ के मजदूर, किसान और आम नगरिक भी इसका उपयोग करते हैं। मना जाता है कि बोरे-बासी खाने से कई रोगों से निजात मिलती है। साथ ही गर्मी में यह पानी की कमी के लिए भी दूर करता है। इसे खाने से बहुत अधिक प्यास लगती है, जिससे पानी अधिक पीने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती।
बोरे-बासी कैसे बनाया जाता है?
जब रात के समय बने हुए बचे चावल या भात में पानी डालकर रख दिया जाता है, तब कुछ घंटे बाद या सुबह उसे बासी हो जाने पर बोरे-बासी Bore Basi कहा जाता है। सुबह होने पर इसे अचार, चटनी, मट्ठा जैसी चीजों के साथ खाया जाता है। आम तौर पर गर्मियों में छत्तीसगढ़ के मजदूर और किसान इसे खाते हैं। अब बोरे-बासी को सीजी के बड़े होटलों के मेन्यू में भी शामिल कर लिया गया है।
बोरे-बासी खाने के फायदे
छत्तीसगढ़िया बोरे और बासी खाने से कई फायदे होते हैं। कहा जाता है कि इसे खाने से खूब प्यास लगती है और ज्यादा पानी पीने से डि-हाइड्रेशन जैसी समस्या नहीं होती है। बताया जाता है कि इसे खाने के बाद यह शरीर के ताप को नियंत्रित करता है। जिस वजह से पड़ने वाली गर्मी और लू का प्रभाव नहीं पड़ता है। इसे खाने से नींद भी अच्छी आती है। इसके अलावा :
– विटामिन बी की कमी दूर होती है।
– शरीर को कैल्शियम-पोटेशियम मिलता है।
– हृदय रोगों का निदान
– स्किन रोग का निदान
– खूब प्यास लगती
– डि-हाइड्रेशन की समस्या नहीं होती
– शरीर का तापमान सही रहता है
– डायरिया का निदान।
– इम्युनिटी बढ़ती है।
– शरीर में आयरन की कमी नहीं होती।
– पेट को ठंडक मिलती है।
– गर्मी-लू से बचाव होता है।
– अच्छी नींद आती है।
– पाचन तंत्र दुरुस्त होता है।
– मेमोरी पावर बढ़ता है।
– एकाग्रता बढ़ती है।
– मुंह के अल्सर के उपचार में कारगर
– शिशुवती माताओं के लिए फायदेमंद
– चाय-कॉफी, शराब की लत छुड़ा सकते हैं।
बोरे और बासी पर शोध हो चुका है
बता दें कि बोरे और बासी पर शोध भी हो चुका है। अमेरिका में हुए शोध में पाया गया कि इसे खाने से डि-हाइड्रेशन और बीपी कंट्रोल में रहता है। इसमें कई तरह के पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, जिससे इसे खाने से हमारी थकान दूर हो जाती है। छत्तीसगढ़ के अलावा इस व्यंजन को दक्षिण भारत के कई राज्यों में खाया जाता है।
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