Author: हमर गोठ

छत्तीसगढ़ का सबसे लजीज, खास और स्वादिष्ट पकवानों में सबसे प्रिय चीला है। टमाटर की चटनी के साथ जब यह जीभ पर आता है तो मन को रंगीला बना देता है। सर्दी का मौसम आते ही घर के साथ होटल, रेस्टोरेंट में प्लेट सज जाते हैं। गुनगुनी धूप में इसका आनंद कई गुना बढ़ जाता है। नए चावल के चीला का स्वाद और भी मजेदार रहता है। चीला चावल आटे के साथ अब 36 प्रकार के बनने लगे हैं। चीला के साथ टमाटर की स्पेशल चटनी भी परोसी जाती है। राज्य के अन्य व्यंजनों की तुलना में चीला सबसे प्रमुख…

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पौष्टिकता से भरपूर, कई रोगों में कारगर बोरे-बासी की चर्चा इन दिनों देशभर में हो रही है। वैसे बोरे-बासी एक छत्तीसगढ़ी व्यंजन है, लेकिन भारत के अन्य हिस्सों में भी इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। आज हम आपको बता रहे हैं बोरे-बासी क्या है, इसे और क्या कहते, कैसे बनाया जाता, इसके क्या फयदे हैं। बोरे-बासी क्या है? वैसे तो बोरे-बासी Bore Basi दो शब्द हैं, लेकिन इसे एक ही व्यंजन के लिए उपयोग किया जाता है। गर्मियों के मौसम में छत्तीसगढ़ के मजदूर, किसान और आम नगरिक भी इसका उपयोग करते हैं। मना जाता है कि बोरे-बासी खाने से…

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छत्तीसगढ़ी लोक-साहित्य की विधाओं में लोकगाथाओं का प्रमुख स्थान है, गाथाओं का रचना काल 1100 से 1500 तक माना गया है, अतः छत्तीसगढ़ी लोकगाथाओं में मध्य युगीन स्थितियों का ही चित्रण मिलता है, इससे वर्णित घटनाओं के आधार पर ही इतिहासकारों ने छत्तीसगढ़ी लोकगाथाओं का निर्माण काल मध्ययुग माना है, इसी काल में अनेक छत्तीसगढ़ी लोकगाथाओं की रचना हुई तथा आज भी ये पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से चली आ रही है। लोक गाथाओं की प्रवृत्ति एवं विषय की दृष्टि से डा. नरेन्द्र देव वर्मा ने छत्तीसगढ़ी लोकगाथाओं का 3 भागों में वर्गीकारण किया है- प्रेम प्रधान गाथाएं, धार्मिक एवं पौराणिक…

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छत्तीसगढ़ के मैनपाट में बहुत से पर्यटन स्थल है उनमें से एक टाइगर पॉइंट भी है। बारिश के मौसम में इसकी सुंदरता देखने के लिए दूर दूर से लोग यहाँ आते है। परिवार के साथ पिकनिक मनाने का यह उत्तम जगह है। आइये मैनपाट के इस जलप्रपात के बारे में जानते हैं। इसे टाइगर प्वाइंट जलप्रपात इस लिए कहा जाता है क्योकि जब झरने ऊपर से जमीन ओर गिरता है तो यहा पर टाइगर की दहाड़ की की ध्वनि सुनाई पड़ती है इस लिए टाइगर प्वाइंट ( मैनपाट ) कहा जाता |इसे छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहा जाता है । टाइगर प्वाइंट जलप्रपात…

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कुटुमसर को शुरू में गोपांसर गुफा (गोपन = छुपा) नाम दिया गया था, लेकिन वर्तमान नाम कुटुमसर अधिक लोकप्रिय हो गया क्योंकि गुफा ‘कोटसर’ नामक गांव के पास स्थित है। कुटुमसर गुफा भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ में जगदलपुर के पास स्थित है। कुटुमसर गुफा पर्यावरणीय पर्यटनमें रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। यह कोलेब नदी की एक सहायक नदी केगर नदी के किनारे स्थित केंजर चूना पत्थर बेल्ट पर गठित एक चूना पत्थर गुफा है। कुटुमसर की गुफा जमीन से 55 फुट नीचे हैं। इनकी लंबाई 330 मीटर है। इस गुफा के भीतर कई पूर्ण विकसित कक्ष हैं…

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भारत एक ऐसा देश है, जहाँ विभिन्न कलाओं व संस्कृतियों का मिश्रण देखने को मिलता है। सभी प्रकार की कलाएँ किसी-न-किसी रूप में इतिहास से जुडक़र अपनी गौरवशाली गाथा का बखान करती है। छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले की ढोकरा कला भी इन्हीं कलाओं में से एक है। इस कला का दूसरा नाम घढ़वा कला भी है। यह कला प्राचीन होने के साथ-साथ असाधारण भी है। छत्तीसगढ़ की ढोकरा कला को सन 2014 से ज्योग्राफिकल इंडिकेटर यानि भौगोलिक संकेतक जिसे जीआई टैग कहते हैं, प्राप्त है। जी आई टैग किसी भी रीजन के क्षेत्रीय उत्पाद को एक विशेष पहचान देता है।…

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भारत वर्ष के अति प्राचीनतम क्षेत्रों में सर्वोपरि दक्षिण कोसल, जो वर्तमान छत्तीसगढ़ तथा पश्चिमी उड़ीसा कहलाता है। छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल के दक्षिण कोशल का एक हिस्सा है और इसका इतिहास पौराणिक काल तक पीछे की ओर चला जाता है। पौराणिक काल का ‘कोशल’ प्रदेश, कालान्तर में ‘उत्तर कोशल’ और ‘दक्षिण कोशल’ नाम से दो भागों में विभक्त हो गया था इसी का ‘दक्षिण कोशल’ वर्तमान छत्तीसगढ़ कहलाता है। इस क्षेत्र के महानदी (जिसका नाम उस काल में ‘चित्रोत्पला’ था) का मत्स्य पुराण :”मन्दाकिनीदशार्णा च चित्रकूटा तथैव च। तमसा पिप्पलीश्येनी तथा चित्रोत्पलापि च।।” मत्स्यपुराण – भारतवर्ष वर्णन – 50/25) महाभारत[ के…

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हरेली छत्तीसगढ़ का पहला क्षेत्रीय त्यौहार है। जैसा नाम से ही पता चलता है इसका संबंध हरियाली से है। यह प्रकृति के प्रति प्रेम और समर्पण का त्यौहार है, जिसे छत्तीसगढ़ में प्रथम त्यौहार के रूप में सामूहिक ढंग से मनाया जाता है। हरेली त्यौहार हिन्दुओं के पवित्र महीने श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या को मनाया जाता है| इस दिन छत्तीसगढ़ राज्य में क्षेत्रीय सार्वजनिक अवकाश होता है। हरेली तिहार के पहले तक किसान अपनी फसलों की बोआई या रोपाई का काम पूरा कर लेते हैं और इस दिन नागर, कोपर, गैंती, कुदाली, रांपा समेत कृषि के काम आने वाले अन्य…

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मानसून आते ही उमस और बादल की गर्जनाओं के साथ ही बस्तर में लोगो के चेहरों पर एक अलग ही खुशी नजर आती है। इस विशेष तरह की खुशी का कारण है एक सब्जी। यह सब्जी है बोड़ा की। बोड़ा को खाने के लिये लोग साल भर इंतजार करते है। बोड़ा से बोड़ा प्रेमी को खाने की खुशी और बेचने वाले को पैसे की खुशी मिल जाती है। बस्तर के सरई बोड़ा के बारे में आपने बहुत सुना होगा, छत्तीसगढ़ के ज्यादातर लोग इसका स्वाद भी ले चुके होंगे। साल को छत्तीसगढ़ में सरई कहा जाता है। जबकि बोड़ा स्थानीय…

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छत्तीसगढ़ की एक प्रमुख नदी महानदी है जो सबसे बड़ी नदी होने के साथ छत्तीसगढ़ की गंगा नदी के नाम से जानी जाने लगी। जैसा कि नाम से पता चलता है, महा का अर्थ है महान या बड़ा और नदी का अर्थ है नदी।आइए जानें महानदी के इतिहास और इससे जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में। मानव सभ्यता का उद्भव और संस्कृति का प्रारंभिक विकास नदी के किनारे ही हुआ है। छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी नदी महानदी का प्राचीन नाम चित्रोत्पला था तथा इसके अलावा इसे महानंदा और नीलोत्पला के नाम से भी जाना जाता है। भारत की प्राचीनतम व…

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