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Author: हमर गोठ
छत्तीसगढ़ में महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के संगम पर बसा शिवरीनारायण धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध है। इस स्थान की महत्ता इस बात से पता चलती है कि देश के चार प्रमुख धाम बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी और रामेश्वरम के बाद इसे पांचवे धाम की संज्ञा दी गई है। यह स्थान भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान है इसलिए छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी के रूप में प्रसिद्ध है। यहां प्रभु राम का नारायणी रूप गुप्त रूप से विराजमान है इसलिए यह गुप्त तीर्थधाम या गुप्त प्रयागराज के नाम से भी जाना जाता है। शबरी और नारायण के अटूट…
सरगुजा जिले में कई सारे पर्यटन स्थल है जो अपने साथ कई कहानियाँ समेटे हुए है, उन्हीं में से एक है रामगढ़ पहाड़ी यह मुख्यरूप से प्राचीनतम नाट्यशाला और महाकाव्य मेघदूत का रचना स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि महाराज राजा भोज से हुई कहा-सुनी के पश्चात कालिदास उज्जैन छोड़कर सरगुजा चले गए थे और वहीं पर बस गए थे। छत्तीसगढ़ के इस जिले में हाथी के आकार की एक बड़ी सी चट्टान रूपी पहाड़ी है जिसे रामगढ़ के नाम से जाना जाता है। इस पहाड़ी में अनेक गुफाएँ बनी हुई हैं, जिनमें से एक कालिदास से संबंधित…
गेड़ी नृत्य छत्तीसगढ़ का पुरातन व पारंपरिक लोक नृत्य है। यह हरेली पर्व से जुड़ा हुआ लोक नृत्य है। अंचल का प्रथम पर्व है। इस दौरान गेड़ी का विशेष महत्व होता है। गेड़ी बांस से तैयार की जाती है। इसकी ऊंचाई 6 से 7 फीट होती है ऊंचाई पर पैर रखने के लिए नारियल की रस्सी से बांस की खपच्ची बांधी जाती है और गेड़ी को तैयार किया जाता है। गेड़ी में चढ़कर लय व ताल से गेड़ी नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है। इसके साथ शारीरिक संतुलन बनाये रखते हुये पद संचालन करते हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के…
बस्तर के आदिवासियों की धार्मिक मान्यताएं उनके अपने पुरातन विश्वासों एवं हिन्दुओं के निकट सम्पर्क से पड़े प्रभाव का मिलाजुला बहुत ही जटिल रूप है। बस्तर का क्षेत्र इतना बड़ा है और लोग इतनी विविधता लिये हैं कि किसी एक धारणा को सम्पूर्ण बस्तर पर लागू करना अतिसाधारिणीकरण होगा। यहाँ के निवासियों में आज भी विशुद्ध आदिवासी विश्वासों से लेकर हिन्दू मान्यताओं के मिश्रण के अनेक चरण एक साथ देखे जा सकते हैं। इसका सबसे रोचक तथ्य यह है कि यहाँ विश्वास और मान्यताएं केवल आदिवासियों द्वारा हिन्दुओं से नहीं ली गयी हैं बल्कि यहाँ बसने वाली हिन्दू जातियां भी…
पंथी नृत्य सतनाम-पंथ का एक आध्यात्मिक और धार्मिक नृत्य होने के साथ-साथ एक अनुष्ठान भी है। सामूहिक अराधना है। यह वाह्य-स्वरूप में मनोरंजन एवं अन्तःस्वरूप में आध्यात्मिक साधना है। पंथी नृत्य छत्तीसगढ़ के सतनामी समुदाय का प्रमुख नृत्य है। पंथी गीतों में गुरु घासीदास के चरित्र गायन किया जाता है। इसमे आद्यात्मिक सन्देश के साथ मानव जीवन की महत्ता होती है। इसमे रैदास, कबीर तथा दादू आदि संतों के आध्यात्मिक संदेश भी इसमें पाया जाता है। यह नृत्य दिसम्बर माह के 18 तारीख से शुरू होता है जो कि परम् पूज्य गुरु घासीदास बाबा का जन्म दिवस है।इसी दिन जैतखाम…
उन दिनों सोनाखान एक रियासत के रूप में जानी जाती थी। जो आजकल छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में आता है। जहां के बिंझवार जमीदार परिवार में वीर नारायण सिंह का जन्म 1795 में हुआ था। बचपन से ही वीर नारायण सिंह को वीरता देशभक्ति और निडरता अपने पिता से विरासत में मिली थी। बचपन से ही वह धनुष बाण, मल्लयुद्ध, तलवारबाजी, घुड़सवारी और बंदूक चलाने में महारत हासिल कर चुके थे। अंग्रेज उनके शौर्य से डरे हुए थे। नारायण सिंह से वीर नारायण सिंह बनने की कहानीदरअसल वर्तमान छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले के सोनाखान इलाके के एक बड़े…
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की पहचान यहां की विशिष्ट आदिवासी संस्कृति, प्राकृतिक पठारों और नदियों की सुंदरता तथा एतिहासिक रियासत से है। इसके साथ ही पिछले साढ़े तीन वर्षों से जशपुर की पहचान में एक नया नाम जुड़ गया है और ये पहचान अब देशव्यापी हो गयी है। अभी तक चाय की खेती के लिए लोग असम या दार्जिलिंग का ही नाम लेते रहे हैं लेकिन जशपुर में भी चाय की खेती होने लगी है। जो पर्यटकों को भी अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। हम सभी यह जानते हैं कि पर्वतीय और ठंडे इलाकों में ही चाय की खेती…
चित्रकोट जलप्रपात भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर ज़िले में इन्द्रावती नदी पर स्थित एक सुंदर जलप्रपात है। इस जलप्रपात की विशेषता यह है कि वर्षा के दिनों में यह रक्त लालिमा लिए हुए होता है, तो गर्मियों की चाँदनी रात में यह बिल्कुल सफ़ेद दिखाई देता है।छत्तीसगढ़ में कई सारे खूबसूरत जलप्रपात हैं उनमें से एक है चित्रकोट जलप्रपात इसे भारत का नियाग्रा फॉल्स के रूप में जाना जाता है। यह भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात है। यह इन्द्रावती नदी में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के जगदलपुर शहर से 38 किलोमीटर की दुरी पर चित्रकोट जलप्रपात स्थित है जिसकी…
भारत के इतिहास में कलचुरी राजवंश स्थान महत्वपूर्ण है 550 से लेकर 1750 तक लगभग 12 सौ वर्षो की अवधि में कलचुरी नरेश उत्तर अथवा दक्षिण भारत में किसी ना किसी प्रदेश पर राज्य करते रहे शायद ही किसी राजवंश ने इतने लंबे समय तक राज्य किया होगा। कलचुरी वंश का मूल पुरुष कृष्णराज था जिसने इस वंश की स्थापना की और 500 से लेकर 575 ईसवी तक राज्य किया कृष्ण राज्य के बाद उसका पुत्र शंकरगंन प्रथम ने 575 से 600 ईसवी तक और शंकरगन के बाद उसका पुत्र बुधराज ने 600 से 620 ईसवी तक शासन किया किंतु…
छत्तीसगढ़ के इतिहास में मौर्यकाल का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इसी वंश के सम्राट चन्द्रगुप्त को भारत का प्रथम ऐतिहासिक सम्राट होने का गौरव प्राप्त है। चन्द्रगुप्त के पश्चात उसका पुत्र बिंदुसार सिंहासन पर बैठा, उसने अपने राज्य की सीमा दक्षिण की ओर बढ़ाई। जब उसका पुत्र अशोक ई. पू. 272 में गद्दी पर बैठा तब राज्य की सीमा मद्रास तक पहुंच गई थी। उड़ीसा के प्रान्त कलिंग को भी अशोक ने जीत लिया। कलिंग देश महानदी और गोदावरी के बीच बंगाल की खाड़ी के किनारे का प्रदेश था, जिसमें कुछ भाग छत्तीसगढ़ का आ जाता था। इससे यह सिद्ध…