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    Home»इतिहास»भगवान गणेश की प्रतिमा: राजबेड़ा में सौ साल पहले पहिए टूटे और स्थापना
    इतिहास

    भगवान गणेश की प्रतिमा: राजबेड़ा में सौ साल पहले पहिए टूटे और स्थापना

    हमर गोठBy हमर गोठJanuary 13, 20242 Mins Read
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    Rajbeda- Chhattisgarh
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    छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में स्थित एक अत्यंत प्राचीन धार्मिक स्थल है, जिसे हम राजबेड़ा मंदिर के नाम से जानते हैं। इस मंदिर में भगवान गणेश और मां दुर्गा की एक अद्वितीय प्रतिमा स्थित है, जहां भगवान गणेश मूशक पर आसीन हैं। इस प्रतिमा में एक अद्वितीय सौंदर्य, आकर्षण, और दिव्यता की कला है, जो ग्रामीण समुदाय के लिए आध्यात्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है।

    यह स्थान दो ग्राम पंचायतों, छिनारी और बैलापाड़, के पास स्थित है और यह कहा जाता है कि यहां की प्रतिमाएं लगभग 100 वर्ष पहले प्रकट हुई थीं। स्थानीय लोग कहते हैं कि इस मूर्ति को कुछ लोग बैलगाड़ी के साथ ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही उनकी बैलगाड़ी के पहिए टूट गए और वे मूर्ति ले जाने में असफल रहे। उसके बाद, समुदाय ने मूर्ति को उसी स्थान पर स्थापित कर दिया, जिसके बाद से ग्रामीण समुदाय ने इस प्रतिमा की पूजा को सालों से धार्मिक रूप से अनुसरण किया है।

    राजबेड़ा मंदिर तक पहुंचने के लिए लोगों को जिला मुख्यालय नारायणपुर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर जाना पड़ेगा। इसके बाद, एक 7 किलोमीटर का यात्रा दंडवन के माध्यम से करना होगा। इसके बाद, मंदिर तक पहुंचने के लिए लोगों को छिनारी और बैलापाड़ गाँवों से होकर गुजरना होगा। राजबेड़ा गाँव में इस मंदिर का स्थान है और यहां की आबादी लगभग 150 है।

    कोंडागाँव से यह मंदिर लगभग 60 किलोमीटर दूर है, और इसे पहुंचने के लिए लोगों को पहले भाटपाल तक पहुंचना होगा। वहां से बयानार और ग्राम पंचायत नरिया के माध्यम से राजबेड़ा गाँव तक पहुंचा जा सकता है, जहां यह मंदिर स्थित है।

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