Author: हमर गोठ

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के ग्राम पंचायत भितघरा के रहने वाले जागेश्वर यादव एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने जीवन को बिरहोर आदिवासियों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया है। बचपन से ही बिरहोर आदिवासियों की दुर्दशा देखकर उन्होंने ठान लिया था कि वह उनके जीवन को बेहतर बनाएंगे। जागेश्वर यादव ने बिरहोर आदिवासियों के बीच रहना शुरू किया और उनकी भाषा और संस्कृति को सीखा। उन्होंने उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक किया और उन्हें स्कूलों में भेजने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके प्रयासों से बिरहोर आदिवासियों के बच्चों की स्कूल में उपस्थिति में काफी सुधार हुआ है।इसका परिणाम…

Read More

छत्तीसगढ़ की धरती को कई महान हस्तियों ने जन्म दिया है, जिनमें सतनाम पंथ के संस्थापक गुरु घासीदास का नाम उज्ज्वल है। 18 दिसंबर 1756 को गिरौदपुरी गांव में जन्मे गुरु घासीदास ने अपने विचारों और कार्यों से न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत को प्रभावित किया। सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ उठाई आवाज: गुरु घासीदास उस समय पैदा हुए थे जब समाज में जाति-पाति का भेदभाव, छुआछूत जैसी कुरीतियां और अंधविश्वास का बोलबाला था। उन्होंने इन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ निर्भीक होकर आवाज उठाई। उनका मानना था कि हर इंसान को समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए, चाहे उसका जाति-धर्म…

Read More

तातापानी छत्तीसगढ़ राज्य के बलरामपुर जिले में स्थित एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल है। यह स्थान अपने प्राकृतिक रूप से निकलते गरम पानी के लिए प्रसिद्ध है। यहां के कुंडों और झरनों में धरातल से बारह माह गरम पानी प्रवाह करता रहता है। स्थानीय भाषा में “ताता” का अर्थ होता है गरम। इसी लिए इस स्थल का नाम तातापानी रखा गया है। तातापानी का धार्मिक महत्व स्थानीय लोगों में तातापानी का धार्मिक महत्व भी है। कहा जाता है कि भगवान श्री राम ने खेल खेल में सीता जी की और पत्थर फेका जो की सीता मां के हाथ में रखे गरम…

Read More

दंतेवाड़ा जिले के जगदलपुर से लगभग 75 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में, इंद्रावती नदी के तट पर बसा बारसूर का गाँव एक समय हिंदू सभ्यता का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। माना जाता है कि यहाँ कभी 147 मंदिर और उतनी ही तालाब हुआ करते थे। 10वीं और 11वीं शताब्दी के इन मंदिरों के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं, जो कि एक हज़ार साल से भी ज़्यादा पुराने हैं। इनमें भगवान विष्णु की कुछ बेहद खूबसूरत मूर्तियां भी शामिल हैं। एक शिव मंदिर में 12 नक्काशीदार पत्थर के खंभों के बाहरी हिस्से पर नग्न मूर्तियां बनी हुई हैं। एक अन्य…

Read More

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में स्थित एक अत्यंत प्राचीन धार्मिक स्थल है, जिसे हम राजबेड़ा मंदिर के नाम से जानते हैं। इस मंदिर में भगवान गणेश और मां दुर्गा की एक अद्वितीय प्रतिमा स्थित है, जहां भगवान गणेश मूशक पर आसीन हैं। इस प्रतिमा में एक अद्वितीय सौंदर्य, आकर्षण, और दिव्यता की कला है, जो ग्रामीण समुदाय के लिए आध्यात्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह स्थान दो ग्राम पंचायतों, छिनारी और बैलापाड़, के पास स्थित है और यह कहा जाता है कि यहां की प्रतिमाएं लगभग 100 वर्ष पहले प्रकट हुई थीं। स्थानीय लोग कहते हैं कि इस…

Read More

भीषण गर्मी की दुपहर में, जब छत्तीसगढ़ के जंगल पसीने से तर-बतर होते हैं, तब जमीन से एक हरी खुशबू उठती है. ये है चरोटा, एक जंगली साग, जो किसी राजकुमारी की हरी पोशाक की तरह सूरज की किरणों में झिलमिलाता है. इसी चरोटा से बनती है वो सब्ज़ी, जिसके स्वाद में जंगल की ज़िंदगी और ज़मीन की ताज़गी घुलती है – चरोटा भाजी. इस सब्ज़ी की कहानी किसी ज़रूरतमंद राजकुमारी की तरह नहीं है, जो किसी शाप से मुक्त होने के लिए बनाई जाती है. ये ज़रूरतमंदों की कहानी है, जिन्होंने जंगल के खज़ाने को अपनी थाली तक पहुंचाया.…

Read More

शिवनाथ नदी छत्तीसगढ़ की एक प्रमुख नदी है। यह नदी महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के गोडरी गांव से निकलती है और लगभग 470 किलोमीटर की यात्रा तय करके छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के शिवरीनारायण में महानदी में मिल जाती है। शिवनाथ नदी के उद्गम के बारे में एक लोककथा प्रचलित है। कहा जाता है कि एक बार एक आदिवासी लड़का शिवनाथ नाम का भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। एक दिन, एक किसान ने शिवनाथ को देखा और उसे अपनी बेटी से शादी करने के लिए कहा। शिवनाथ ने किसान के घर जाकर उसकी सेवा की और तीन साल…

Read More

तीजन बाई का जन्म 8 अगस्त, 1956 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के गनियारी गांव में हुआ था। वे एक परधान जनजाति से ताल्लुक रखती हैं। तीजन बाई के पिता हुनुकलाल परधा और माता सुखवती थीं। तीजन बाई बचपन से ही पंडवानी सुनने और देखने में रुचि रखती थीं। उनके नाना ब्रजलाल एक पंडवानी गायक थे। तीजन बाई ने अपने नाना से पंडवानी सीखी। तीजन बाई ने 13 साल की उम्र में पहली बार पंडवानी का मंच प्रदर्शन किया। उस समय, महिलाओं को पंडवानी गाना मना था। लेकिन तीजन बाई ने इस परंपरा को तोड़ा और पंडवानी की पहली महिला…

Read More

छत्तीसगढ़ का चेंदरू, जिसे “बस्तर का मोगली” के नाम से भी जाना जाता है, एक आदिवासी लड़का था जिसने एक बाघ शावक को पाला और उसे अपने साथ ही रखा। चेंदरू का जन्म 1935 में नारायणपुर जिले के गढ़बंगाल गांव में हुआ था। वह एक मुरिया जनजाति का सदस्य था। जब चेंदरू 10 साल का था, तो उसने एक बाघ शावक को जंगल में घायल पाया। चेंदरू ने शावक को अपने घर ले आया और उसे “टैंबु” नाम दिया। चेंदरू और टेम्बू एक-दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त बन गए। वे अक्सर जंगल में एक साथ खेलते थे। चेंदरू और टेम्बू…

Read More

श्री राम की शिक्षाएं और कहानियां छत्तीसगढ़ी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे छत्तीसगढ़ी लोगों के जीवन और मूल्यों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नैतिकता और कर्तव्य श्री राम की शिक्षाओं ने छत्तीसगढ़ी लोगों को नैतिकता और कर्तव्य के महत्व के बारे में सिखाया है। वे लोगों को सत्य बोलने, अपने दायित्वों को पूरा करने और दूसरों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उदाहरण के लिए, श्री राम ने अपने पिता दशरथ की आज्ञा का पालन करने के लिए वनवास जाना स्वीकार किया, भले ही इससे उन्हें अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण से…

Read More