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Author: हमर गोठ
छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों में बफौरी का विशेष स्थान है। यह मसालेदार मसूर दाल से बना एक स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन है, जो न सिर्फ घरों में बल्कि ढाबों में भी बेहद लोकप्रिय है। बफौरी को पराठे, रोटी या चावल के साथ परोसा जाता है और इसे नाश्ते, दोपहर के भोजन या रात के खाने में भी खाया जा सकता है। बफौरी की खासियत: बफौरी बनाने की विधि: सामग्री: बनाने की विधि: टिप्स: बफौरी छत्तीसगढ़ के सबसे लोकप्रिय दाल व्यंजनों में से एक है। यह स्वादिष्ट, पौष्टिक और बनाने में आसान है। तो आज ही बफौरी बनाने की कोशिश करें…
छत्तीसगढ़ अपने अनूठे व्यंजनों और पारंपरिक खाने के लिए प्रसिद्ध है। ऐसे ही एक स्वादिष्ट और पौष्टिक नाश्ते में से एक है चौसेला। यह एक चावल आधारित व्यंजन है जो पूरे छत्तीसगढ़ में बेहद लोकप्रिय है। चौसेला को बनाने के लिए चावल के आटे को विभिन्न मसालों के साथ मिला कर छोटे-छोटे टुकड़ों में स्टीम में पकाया जाता है। चौसेला न सिर्फ स्वादिष्ट है बल्कि सेहत के लिए भी लाभदायक है। आइए जानें चौसेला के स्वाद और गुणों के बारे में: स्वाद: सेहत के लाभ: बनाने में आसान: चौसेला को बनाना बहुत ही आसान है। इसे बनाने के लिए किसी…
छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और विरासत में खानपान का भी अहम स्थान है। छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की अपनी अनूठी स्वाद और सुगंध है। इन व्यंजनों में से एक है इडधर, जो एक प्रकार की स्टीम्ड करी है।छत्तीसगढ़ के व्यंजनों में इड्डर एक ऐसा व्यंजन है जो अपने स्वाद और सेहत के गुणों के लिए जाना जाता है। यह एक परंपरागत व्यंजन है, जो विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में बहुत लोकप्रिय है। आज हम आपको इड्डर बनाने की विधि और उसके फायदों के बारे में बताएंगे। इडधर को बनाने के लिए उड़द की दाल को पीसकर उसका घोल बनाया…
छत्तीसगढ़ का फ़रा/मुठिया एक ऐसा व्यंजन है जो न सिर्फ स्वादिष्ट है बल्कि सेहत से भरपूर भी है। यह चावल के आटे से बना एक स्वादिष्ट व्यंजन है जो पूरे छत्तीसगढ़ में बेहद लोकप्रिय है। फ़रा/मुठिया को बनाने के लिए उबले हुए चावल के आटे को विभिन्न मसालों के साथ मिलाया जाता है और फिर स्टीम में पकाया जाता है। इसे अक्सर चटनी और दही के साथ परोसा जाता है। फ़रा/मुठिया के स्वाद और सेहत के कई फायदे हैं: स्वाद: सेहत: बनाने में आसान: फ़रा/मुठिया को बनाना बहुत ही आसान है। इसे बनाने के लिए किसी खास सामग्री की जरूरत…
छत्तीसगढ़ के इतिहास में सोमवंशी राजवंश का शासनकाल एक स्वर्णिम युग के रूप में जाना जाता है। लगभग 750 ईस्वी से 1200 ईस्वी तक शासन करने वाले सोमवंशी राजाओं ने छत्तीसगढ़ को कला, वास्तुकला, साहित्य और धर्म के क्षेत्र में नए आयामों तक पहुँचाया। इस लेख में, हम सोमवंशी राजवंश के शासनकाल और छत्तीसगढ़ पर उनके प्रभावों पर चर्चा करेंगे। सोमवंशी राजवंश का उदय: सोमवंशी राजवंश छत्तीसगढ़ में सबसे शक्तिशाली राजवंशों में से एक था। इस वंश के संस्थापक शिवगुप्त बालार्जुन थे, जिन्होंने रायपुर जिले के तुर्रेकला को अपनी राजधानी बनाया। सोमवंशी राजाओं ने छत्तीसगढ़ के अधिकांश हिस्सों पर शासन…
छत्तीसगढ़ के इतिहास में गुप्त साम्राज्य का शासनकाल एक स्वर्ण युग माना जाता है। लगभग 320 ईस्वी से 550 ईस्वी तक शासन करने वाले गुप्त शासकों ने छत्तीसगढ़ में शांति, स्थिरता और समृद्धि का दौर लाया। इस लेख में, हम गुप्त साम्राज्य के छत्तीसगढ़ पर शासनकाल और इसके प्रभावों पर चर्चा करेंगे। गुप्त साम्राज्य का विस्तार: गुप्त साम्राज्य भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य था, जिसका विस्तार उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में कृष्णा नदी तक था। छत्तीसगढ़ भी इस विशाल साम्राज्य का एक हिस्सा था। रायपुर, धमतरी और राजनांदगांव जैसे क्षेत्र गुप्त साम्राज्य के अंतर्गत आते थे। शासक और…
छत्तीसगढ़ का इतिहास प्राचीन काल से ही समृद्ध और विविध रहा है। इस समृद्ध इतिहास में सातवाहन राजवंश का शासनकाल एक महत्वपूर्ण अध्याय है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 200 ईसा पूर्व से 300 ईसा पूर्व तक शासन करने वाले सातवाहनों ने कला, वास्तुकला, व्यापार और संस्कृति को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया। सातवाहन साम्राज्य का विस्तार: सातवाहन साम्राज्य मध्य भारत में एक प्रमुख शक्ति थी, जिसका विस्तार महाराष्ट्र से लेकर आंध्र प्रदेश तक था। छत्तीसगढ़ के बस्तर, रायपुर, धमतरी और राजनांदगांव जैसे क्षेत्र भी सातवाहन साम्राज्य के अंतर्गत आते थे। प्रमुख शासक: सातवाहन राजवंश में कई महान शासकों…
छत्तीसगढ़ के सबसे प्राचीन शहरों में से एक, मल्हार अपने ऐतिहासिक महत्व, मंत्रमुग्ध करने वाली मूर्तियों और अविस्मरणीय वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा बनाए गए “प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और राष्ट्रीय महत्व के अवशेष” की सूची में भी शामिल है। प्राचीन इतिहास की गवाही: मल्हार का इतिहास 7वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व तक का है। यह शहर शक्तिशाली सोमवंशी राजवंश की राजधानी थी, जिसने छत्तीसगढ़ पर लगभग 500 वर्षों तक शासन किया। मल्हार में कई मंदिर, किले और अन्य संरचनाएं हैं, जो उस समय की वास्तुकला और कला कौशल का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। मंत्रमुग्ध…
छत्तीसगढ़, कई महान पुरुषों और संतों की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध, निश्चित रूप से एक तीर्थयात्रियों का स्वर्ग है। इनमें से एक सतनामी संप्रदाय के प्रवर्तक, परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास हैं। रायपुर जिले के गिरौदपुरी से ताल्लुक रखने वाले गुरु घासीदास ने कई भारतीयों, विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के लोगों को सतनाम का उपदेश दिया। गिरौदपुरी धाम का इतिहास: गिरौदपुरी धाम गुरु घासीदास के जीवन और कार्य का केंद्र बिंदु रहा है। यहीं पर उन्होंने सतनाम के संदेश का प्रचार किया और एक समतामूलक समाज बनाने का प्रयास किया। उन्होंने जाति व्यवस्था के कुप्रथाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी…
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में स्थित डोंगरगढ़ अपने आध्यात्मिक महत्व, प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण पर्यटकों के बीच एक लोकप्रिय गंतव्य है। माँ बम्लेश्वरी का पवित्र धाम होने के साथ-साथ, डोंगरगढ़ अपनी मनोरम दृश्यों और ऐतिहासिक किले के लिए भी प्रसिद्ध है। माँ बम्लेश्वरी का पवित्र धाम: डोंगरगढ़ माँ बम्लेश्वरी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जिसे शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में माँ बम्लेश्वरी की एक विशाल स्वर्ण प्रतिमा विराजमान है, जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों का तांता लगा रहता है और पूरे मंदिर…